सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला साहू समाज के कार्यकर्ताओ की याचिका हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रजनी दुबे ने छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है।
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ के पदाधिकारियों द्वारा स्वेच्छाचारिता करने और संगठन के ढांचा को नुकसान पहुंचाने की शिकायतें लगातार मिल रही है। अपने चहेतों को नियम विरुद्ध पदाधिकारी बनाने से जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है। अनेक जिलों में मनमानीपूर्ण चुनाव कराने से वैमनस्यता बढ़ती जा रही है। समाज को दो फाड़ करने की राजनीतिक साजिश की आशंका भी जाहिर की जा रही है।
इस बीचनवगठित प्रशासनिक जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ में जिलाध्यक्ष निर्वाचन प्रक्रिया में गड़बड़ी का मामला उच्च न्यायालय बिलासपुर पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ के द्वारा नवगठित जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ को हाल ही में संगठन जिला बनाया गया। इसके बाद सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला के साहू समाज के सदस्यों की मांग है कि सामाजिक नियमावली के अनुसार नवीन जिला में समाज के अध्यक्ष पद पर पर्यवेक्षक, निर्वाचन अधिकारी भेजकर चुनाव कराया जाना चाहिए। किंतु, छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ के पधाधिकारी द्वारा कथित तौर पर मनमानी कर अध्यक्ष पद पर एक ऐसे व्यक्ति को मनोनीत कर दिया गया है, जिनकी सामाजिक सहभागिता नगण्य है। जिसका सभी तहसील अध्यक्ष ने विरोध किया। साहू संघ के प्रदेश अध्यक्ष को लिखित में विरोध पत्र सौंपा। जिस पर प्रदेश साहू संघ के द्वारा किसी भी प्रकार से समाधान नहीं करने का आरोप है। कार्यवाही करने के बजाय साहू समाज के 12 कर्मठ कार्यकर्ताओं को छत्तीसगढ़ साहू संघ (पं. क्र. 33 /61) से निष्कासन और समाज के मुख्य धारा से बाहर रहने का फरमान जारी करने का गम्भीर आरोप लगाया गया है। सारंगढ़- बिलाईगढ़ जिला के साहू समाज के 200 से अधिक लोग रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ कार्यालय में अध्यक्ष से मिलने पहुंचे तो अध्यक्ष ने कथित रूप से मिलने से साफ इंकार कर दिया। हताश होकर सभी वापस लौट गए। बाद में संगठित होकर 5000 से अधिक की संख्या में साहू समाज के सदस्यों ने नए जिलाध्यक्ष का निर्विरोध निर्वाचन कर लिया। यह छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ के पदाधिकारियों को नागवार गुजरी।
तत्पश्चात् फिर से पर्यवेक्षक भेजने और अपने जिला के सभी तहसील अध्यक्ष और समस्त पदाधिकारी के बीच बैठक बुलाने अनुरोध किया गया। तब भी पर्यवेक्षक भेजा नहीं गया। इसके बाद समाज के व्यक्तियों ने उनके मनोनीत किए हुए अध्यक्ष को खारिज कर नया अध्यक्ष सर्वसम्मति से चुन लिया।
समाज के वरिष्ठ लोगों को छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ से कथित तौर पर निष्कासित कर समाज के मुख्य धारा से पृथक किया गया है। जिसमें समन्वय का कई बार प्रयास किया गया। बावजूद, अध्यक्ष के अड़ियल रवैया के चलते बात बिगड़ गई। इससे क्षुब्ध होकर सारंगढ़ बिलाईगढ़ के सामाजिक प्रतिनिधियों के द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। जिसको स्वीकार करते हुए न्यायालय ने संबंधित को नोटिस जारी किया है और 3 सप्ताह में जवाब भी मांगा है। निष्कासन, अवैधानिक पाए जाने पर और विवाद बढ़ने पर छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ के पदाधिकारियों के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही भी किए जाने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है
सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला के शिवचरण साहू ,रामगोपाल साहू एवं अन्य का याचिका को स्वीकार कर लिया है । इस तरह सामाजिक मामला हाईकोर्ट में जाने को एक दुर्भाग्यजनक घटना कहा जा रहा है। समाज के मुखिया को समन्वय बनाकर चलने की सलाह दी जा रही है।
इस संबंध में छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ का पक्ष जानने अध्यक्ष टहल राम साहू से दूरभाष पर संपर्क करने पर उन्होंने फोन कॉल रिसीव नहीं किया।
छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ पदाधिकारियों की मनमानी, हाई कोर्ट पहुंचा मामला





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