Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

दुर्लभ रोगों के उपचार में निजी उपयोग के लिए आयातित औषधियों व खाद्य सामग्रियों को सीमाशुल्क से मिली पूरी छूट

 केंद्र सरकार ने सामान्य छूट अधिसूचना के जरिये राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 के तहत सूचीबद्ध सभी दुर्लभ रोगों के उपचार के सम्बंध में निजी उपयोग के लिये विशेष चिकित्सा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये सभी आयातित औषधियों व खाद्य सामग्रियों को सीमाशुल्क से पूरी छूट दे दी है।


इस छूट को प्राप्त करने के लिये, वैयक्तिक आयातक को केंद्रीय या राज्य निदेशक स्वास्थ्य सेवा या जिले के जिला चिकित्सा अधिकारी/सिविल सर्जन द्वारा प्राप्त प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। दवाओं/औषधियों पर आम तौर से 10 प्रतिशत बुनियादी सीमा शुल्क लगता है, जबकि प्राणरक्षक दवाओं/वैक्सीनों की कुछ श्रेणियों पर रियायती दर से पांच प्रतिशत या शून्य सीमा शुल्क लगाया जाता है।

स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी या डूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के उपचार के लिये निर्धारित दवाओं के लिये छूट प्रदान की जाती है, लेकिन सरकार को ऐसे कई प्रतिवेदन मिल रहे थे, जिनमें अन्य दुर्लभ रोगों के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं और औषधियों के लिये सीमा शुल्क में राहत का अनुरोध किया गया था। इन रोगों के उपचार के लिये दवायें या विशेष खाद्य सामग्रियां बहुत महंगी हैं तथा उन्हें आयात करने की जरूरत होती है। एक आकलन के अनुसार 10 किलोग्राम वजन वाले एक बच्चे के मामले में कुछ दुर्लभ रोगों के उपचार का वार्षिक खर्च 10 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये से अधिक तक हो सकता है। यह उपचार जीवन भर चलता है तथा आयु व वजन बढ़ने के साथ-साथ दवा तथा उसका खर्च भी बढ़ता जाता है।

इस छूट से खर्च में अत्यंत कमी आ जायेगी और बचत होगी तथा मरीजों को जरूरी राहत भी मिल जायेगी। सरकार ने भिन्न-भिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार में इस्तेमाल होने वाले पेमब्रोलीजूमाब (केट्रूडा) को भी बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया है।


Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.