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प्रधानमंत्री मोदी ने सांस्कृतिक चेतना की नई लहर शुरू की : ज्योतिरादित्य सिंधिया

भोपाल । केन्द्रीय नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। सनातन और बौद्ध धर्म में कई समानताएँ हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म में मंडला एवं अन्य पद्धतियाँ नालंदा विश्वविद्यालय में तैयार की गई। उन्होंने कहा कि कैलाश पर्वत, हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों में आस्था का केंद्र है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में सांस्कृतिक चेतना की नई लहर शुरू की है। देश में बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बौद्ध सर्किट को केंद्र में रख कर हवाई मार्ग तैयार किए गए हैं।


केन्द्रीय मंत्री सिंधिया मप्र की राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में आयोजित तीन दिवसीय सातवें धर्म-धम्म सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का रविवार को समापन हुआ। समापन-सत्र में नए युग में पूरब के मानववाद पर 50 से अधिक विद्वानों ने अपने शोध-पत्र पढ़े। समारोह के समापन सत्र को केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वीडियो संदेश के जरिए संबोधित किया।

समापन सत्र में थाइलैंड के सिल्पाकोरोन विश्वविद्यालय के प्रो. चिरापत प्रपद्यविद्या ने कहा कि बौद्ध धर्म में एकात्म का सिद्धांत है और पुनर्जन्म के चक्र से निकलने के लिए विद्या रूपी अनंत सत्य को जानने का सिद्धांत बुद्ध ने बताया है। उन्होंने कहा कि थाइलैंड में भी साँची के समान स्तूप हैं, जिसका पुनरुद्धार किया जा रहा है।

नालंदा केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. गोदावरीश मिश्र ने कहा कि अंग्रेजों ने मनु-स्मृति का अपनी सुविधानुसार अनुवाद किया और उसे हिन्दुओं को आपस में बाँटने में उपयोग किया। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि आर्य और द्रविड़ का भेद नहीं है, बल्कि गौड़ा और द्रविड़ का भेद है, जो खान-पान में अंतर पर आधारित है।

कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रो. दिलीप मोहंता ने कहा कि पूरा विश्व एक घोंसला है। शांति और संपन्नता एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. रामनाथ झा ने कहा कि प्रकृति का मूल एक है, जो पुरूष और स्त्री शक्ति के रूप में अलग-अलग उद्घाटित होता है। उन्होंने कहा कि महर्षि वेदव्यास, वाल्मिकी, जाबाली और ऐतरेय ब्राह्मण लिखने वाले महिदर ऋषि ब्राह्मण नहीं थे। सनातन धर्म को ब्राह्मण आधारित वर्ण व्यवस्था से जोड़ना कल्पना ही है।

कोलकाता विश्वविद्यालय में पाली की प्रो. शाश्वती ने कहा कि रविन्द्रनाथ टैगोर पर बौद्ध धर्म का प्रभाव था। उन्होंने पाली साहित्य से उदाहरण देते हुए प्रार्थना की थी, जिसका अर्थ था कि ब्राहम्मांड के सभी जीव खुश रहे।

कॉन्फ्रेंस रिपोर्ट देते हुए साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर अलकेश चतुर्वेदी ने कहा कि उद्घाटन सत्र, मंत्री संवाद, 5 मुख्य सत्र और 150 शोध पत्र से यही परिलक्षित हुआ है कि भारतीय संवेदना में पोषित मानववाद सदियों के परिमार्जन का सोमरस है और हिंसा तथा विवादों से जूझ रहे विश्व को पूर्व का मानववाद काफी कुछ सिखा सकता है।

सभी प्रतिभागियों ने ओंकारेश्वर में तैयार हो रहे एकात्म लोक से संबंधित लघु फिल्म भी देखी और विश्व प्रसिद्ध साँची स्तूप का भ्रमण किया। धर्म-धम्म सम्मेलन इस मायने में खास रहा कि इस बार 16 देश से आए प्रतिभागियों ने सहभागिता की और बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया के बाली के उप राज्यपाल ने भारत को बड़ा भाई बताया। इंडोनेशिया, भूटान और श्रीलंका के मंत्री सम्मेलन में शामिल हुए। पहली बार रूस के चार राज्य से बौद्ध लामा और थाइलैंड से बौद्ध भंते सम्मेलन में शामिल हुए। म्यांमार और मंगोलिया के राजदूत भी सम्मेलन में शामिल हुए और साँची विश्वविद्यालय के साथ अकादमिक साझेदारी की इच्छा जताई।

 

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