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एक हजार जगहों का नाम बदलने दाखिल याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, की सख्त टिप्पणी


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जगहों का नाम बदलने से जुड़ी याचिका खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने देशभर में करीब 1000 जगहों का नाम बदलने की एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की याचिका खारिज कर दी है। इस दौरान उच्चतम न्यायालय ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि आप इस तरह की याचिका से आखिर क्या हासिल करना चाहते हैं? सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी.वी. नागरत्ना (Justice B. V. Nagarathna) और जस्टिस केएम जोसेफ (Justice KM Joseph) की बेंच ने मामले पर सुनवाई की।



जस्टिस बी.वी. नागरत्ना (Justice B. V. Nagarathna) ने कहा कि कहा कि क्या देश में और समस्याएं नहीं हैं, जो हम पुरानी चीजों के पीछे पड़े हुए हैं? इस पर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने दलील दी कि क्या क्या जगहों और सड़कों का नाम ऐसे लोगों पर होना चाहिए जिन्होंने देश को लूटा? उन्होंने कहा कि सिर्फ गजनी और गोरी के नाम से इतिहास क्यों शुरू होता है? औरंगजेब का भारत से क्या रिश्ता है? हमारे यहां गजनी, गोरी और लोधी के नाम पर सड़के हैं लेकिन पांडव के नाम पर नहीं।

इस पर जस्टिस केएम जोसेफ (Justice KM Joseph) ने कहा कि अतीत को चुनिंदा तरीके से देखने का क्या मतलब? भारत एक सेक्युलर देश है। अगर आप एक समुदाय पर उंगली उठाएंगे तो क्या चाहते हैं कि देश हमेशा जलता रहे? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सेक्युलरिज्म के खिलाफ है। हमें इस तरह की याचिकाओं में नहीं पड़ना चाहिए।

आप कोर्ट को नहीं बताएंगे कि क्या करना है

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कोर्ट के उपर फंडामेंटल राइट्स को बचाने की जिम्मेदारी है और यह भी महत्वपूर्ण है कि देश आगे बढ़ता रहे। कोर्ट ने आगे कहा कि सिर्फ और सिर्फ सद्भाव ही देश को एकजुट रख सकता है और इसी से देश का भला भी होगा। इसपर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट से दरख्वास्त की कि कृपया आर्डर रिजर्व रख लें और उन्हें एफिडेविट फाइल करने का वक्त दें। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हमें नहीं बताएंगे कि क्या करना है।
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 मांगी याचिका वापस लेने की अनुमति

 
इसके बाद कोर्ट का मूड भांपते हुए अश्विनी उपाध्याय (Advocate Ashwini Upadhyay) ने अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी और कहा कि वे इस संबंध में गृह मंत्रालक से सामने अर्जी लगाएंगे। लेकिन कोर्ट ने उनकी बात नहीं मानी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को किसी लड़ाई के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए। हम और कड़ी टिप्पणी कर सकते थे, लेकिन आदेश को संतुलित रखा है। कृपया हिंदू धर्म को इस तरीके से छोटा ना बनाएं, इसकी महानता को समझने का प्रयास करें।


जस्टिस ने कहा- देश को बांटने की कोशिश न करें

 
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि इस तरह की याचिकाओं से देश को बांटने का प्रयास न करें। कृपया धर्म की जगह देशहित को दिमाग में रखें। इस पर अश्विनी उपाध्याय ने आगे दलील देने की कोशिश की, तो कोर्ट ने रोकते हुए कहा कि हमें जो कहना था कह दिया है। हम इस मामले में पूरी तरह क्लियर है। इसके बाद याचिका खारिज कर दी।

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