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मुख्यमंत्री बघेल दूधाधारी मठ पहुंचे , सभी को छेरछेरा पुन्नी की दी गाड़ा गाड़ा बधाई

 रायपुर :  रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दूधाधारी मठ पहुंचे है. जहां उन्होंने भगवान के दर्शन किये। बता दें कि दूधाधारी मठ परिसर में छेरछेरा, पुन्नी मेला का आयोजन किया जा रहा है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम ने सभी को छेरछेरा पुन्नी की बधाई दी और कहा - हमारी सरकार सभी तीज त्योहारों पर छुट्टी दी, मुख्यमंत्री निवास में सभी त्योहारों को मनाते हैं. 

किसान सभी के लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं. छेरछेरा में दान की राशि जनकल्याण में खर्च की जाती है. अन्नदाता समेत सभी वर्ग अनाज को दान करता है. दान देना उदारता और दान लेना अहंकार को नष्ट करने का प्रतीक है. भगवान बालाजी की कृपा से बहुत अच्छी पैदावार हुई है. 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा लेकिन एक भी किसान की शिकायत नहीं आई. सभी को तत्काल भुगतान मिला।

छत्तीसगढ़ में पौष पूर्णिमा पर मनाया जाने वाला लोकपर्व है छेरछेरा। इस दिन दान करने का रिवाज है। छेरछेरा पर्व को शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व खरीफ की नई फसल के खलिहान से घर आज जाने के बाद मनाया जाता है। इस दौरान गांव के युवक घर-घर जाकर डंडा नृत्य करते हुए अन्ना का दान मांगते हैं। कथा के अनुसार पार्वती से विवाह पूर्व भोलेनाथ ने कई किस्म की परीक्षाएं ली थीं। उनमें एक परीक्षा यह भी थी कि वे नट बनकर नाचते-गाते पार्वती के निवास पर भिक्षा मांगने गए थे और स्वयं ही अपनी निंदा करने लगे थे, ताकि पार्वती उनसे विवाह करने के लिए इनकार कर दें।


एक अन्य कथा के अनुसार, किसान धान की फसल को खलिहान से घर के कोठी में भर लेते हैं। जबकि सालभर तक कड़ी धूप और बरसात के पानी में भींगते, खेतों में काम करने वाले मजदूरों को इसके बदले में एक सीमित मजदूरी के अलावा और कुछ भी नहीं मिलता था। वहीं इतना कुछ होने के बाद भी किसान परेशान रहते। तब जमीन मालिक किसानों ने धरती माता की पूजा आराधना शुरू की। लगातार सात दिन की पूजा आराधना से धरती माता प्रकट हो गई और किसानों से बोली कि आज से सभी किसान-भूमिस्वामी अपने उपज का कुछ हिस्सा गरीब बनिहार मजदूरों को दान करोगे तभी अकाल मिटेगा।



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