रायपुर। छतीसगढ़ी आभूषणों के इस स्टाल की संचालिका सुश्री भेनू ठाकुर और उनके सहयोगी प्रीतेश साहू जी ने बताया कि हाटुम एक गोड़ी शब्द है जिसका अर्थ बाजार होता है। हाटुम एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसमे विभिन्न जनजातियों के द्वारा बनाई गई सामग्रियों की बिक्री की जाती है। इसमें गोंड, धुरवा, उरांव व बैगा जनजातियों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली सामग्री, आभूषण एवं परिधान सम्मिलित है।
इसमें गिलट से बने आभूषण जिसमे सुता, पहुंची, रुपया माला, करधनी, बनुवारिया, ककनी, मुंदरी, पैरी आदि सम्मिलित है। बांस, लकड़ी व घास से बनी वस्तुओ में पिसवा, गप्पा, छोटे पर्स, पनिया (कंघी), पीढ़ा, चटाई सम्मिलित है।