Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

जिला अस्पताल में एक साल के अंदर 1144 मोतियाबिंद के मरीजों का हुआ सफल इलाज

Document Thumbnail

देश के 112 आकांक्षी जिलों में शामिल कोंडागांव एक जनजातीय बहुल जिला है। जहां 80 फिसदी से अधिक आबादी गांवों में निवास करती है। जहां जनजातीय गांवों में सभी रोगों और व्याधियों के इलाज के लिए ग्रामीणों द्वारा झाड़फूक-परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों के द्वारा इलाज किया जाता है। ऐसे में इन क्षेत्रों में मोतियाबिंद जैसी नेत्र व्याधियों को सामान्य वृद्धावस्था की समस्या मानकर अनदेखा कर दिया जाता है। ऐसे में अपने आंखों की रोशनी को जाता देखकर भी व्यक्ति इसके संबंध में कुछ नहीं कर पाता और धीरे-धीरे उसे कुछ भी दिखना बंद हो जाता है। इस स्थिति को देखकर राज्य शासन के निर्देश पर जिले में CMHO डॉ टीआर कुंवर के मार्गदर्शन में अंधत्व निवारण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। 

इस संबंध में सहायक नोडल अंधत्व निवारण और नेत्र सहायक अधिकारी अनिल बैध ने बताया कि अंधत्व निवारण कार्यक्रम के समक्ष आधुनिक संसाधनों-विशेषज्ञों की कमी एक बड़ी बाधा थी। ऐसे में कलेक्टर के द्वारा DMF फंड से नेत्र चिकित्सा के आधुनिक उपकरणों और ऑपरेशन थिएटर के निर्माण जिले के लोगों के इलाज के लिए कराया गया। इसके बाद नेत्र सर्जन डॉ. कल्पना मीणा की नियुक्ति के बाद अंधत्व निवारण कार्यक्रम को नई उड़ान मिल गई। पहले जहां 2017 में सिर्फ 210, 2018 में 40, 2019 में 482 और 2020 में 41 ही मोतियाबिंद के ऑपरेशन हुए थे। 

वहीं 2021-22 में यह आंकड़ा सीधे 1144 पहुंच गया। अंधत्व निवारण कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए और जिले के प्रत्येक व्यक्ति की नेत्र जांच कर नेत्र विकारों-मोतियाबिंद से लोगों को निजात दिलाने के लिए मितानिन, स्वास्थ्य संयोजकों द्वारा सभी सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में शिविर लगाया जाता है, जहां सहायक नेत्र अधिकारियों द्वारा नेत्र रोगियों की पहचान कर उन्हें जिला अस्पताल में भेजा जाता है। इसके बाद नेत्र सर्जन डॉ. कल्पना मीणा द्वारा प्रत्येक मरीज की जांच कर उनका इलाज किया जाता है।

डॉ. कल्पना मीणा ने दी जानकारी

डॉ. कल्पना मीणा ने बताया कि जिले में लोगों के बीच फैली भ्रांतियों जैसे ठंड में नेत्र ऑपरेशन के बेहतर होने, ऑपरेशन से देवताओं के नाराज होने कारणों से लोग ऑपरेशन से बचते थे। ऐसे में लोगों को जागरूक कर ऑपरेशन के लिए जिला अस्पताल तक लाना पहली चुनौती हुआ करती है। जिले में इन भ्रांतियों के कारण कई लोग जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ित होने के बावजूद भी ऑपरेशन कराने से डरते थे। 

जिला अस्पताल चला रहा जागरूकता अभियान 

जागरूकता अभियान के साथ आधुनिक उपकरणों के जिला अस्पताल में लग जाने और सहयोगी विशेषज्ञों की उपलब्धता से अब मरीजों के इलाज की गति में बढ़ोतरी हुई है। इसी का परिणाम है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में अप्रैल से मार्च के मध्य कुल 1333 सर्जरी हो पाई है। जिनमें 1144 प्रकरण मोतियाबिंद के थे। इसके लिए मैं अपने सभी ऑपरेशन में सहायक स्टॉफ का भी धन्यवाद करती हूं। जिनका मुझे पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ है।

ओडिशा के भी 100 से ज्यादा लोगों की हुई सर्जरी

अंधत्व निवारण नोडल डॉ. हरेन्द्र बघेल ने बताया कि जिले में नेत्र ऑपरेशन के आधुनिक उपकरण और विशेषज्ञ सर्जन के आने से मोतियाबिंद के मरीजों के उपचार में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। जहां साल 2017 से 2020 तक जिला अस्पताल में कुल 773 मरीजों के मोतियाबिंद का इलाज हुआ था। वहीं साल 2020-21 में कोरोना महामारी के कारण नेत्र ऑपरेशन रूक से गये थे। वहीं कोरोना महामारी के प्रसार के कम होते ही साल 2021-22 में नेत्र चिकित्सा की रफ्तार बढ़ा दी गई है, जिससे एक साल में 7934 ओपीडी और 1333 सर्जरी निस्पादित की गई है। जिसमें 1144 मोतियाबिंद और 189 अन्य ऑपरेशन किए गए हैं, जो कि शायद इस साल राज्य में किसी नेत्र सर्जन द्वारा व्यक्तिगत रूप से किए गए ऑपरेशनों में सर्वाधिक होगा। 

ओडिशा से लगातार पहुंच रहे मरीज

इस साल जिसमें छोटे नाबालिक बच्चों, जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ितों, गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों से लेकर अत्यंत वृद्ध व्यक्तियों को भी उपचारित किया गया है। जिला अस्पताल में नेत्र चिकित्सा की उत्तम व्यवस्था को देखते हुए न सिर्फ आस-पास के जिलों अपितु पड़ोसी राज्य ओडिशा के सीमावर्ती जिलों से भी मरीज गंभीर रोगों के इलाज के लिए जिला अस्पताल आ रहे हैं। अब तक ओडिशा से आए 454 लोगों की स्वास्थ्य जांच और 100 से ज्यादा लोगों की सर्जरी की गई है।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.