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एम्स के डायरेक्टर ने अपना पक्ष रखने के लिए आयोग से की समय की मांग

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक, सदस्य शशिकांता राठौर और अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में शास्त्री चौक स्थित राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई। एम्स के दो  प्रकरणों में एम्स के डायरेक्टर ने बताया कि मृतका साक्षी दुबे के आत्महत्या के मामले में आमानाका पुलिस थाना और एम्स के स्तर पर जांच जारी है। एम्स की जांच रिपोर्ट आयोग कार्यालय में प्रस्तुत करने के साथ आवेदिका को भी इसकी प्रति देने की बात कही है। इस प्रकरण में आवेदिका पक्ष ने जो दस्तावेज लगाए हैं, उनमें वहां पढ़ने वाले छात्रों के बीच मृतका के प्रकरण में काफी गम्भीर चर्चा अनावेदक के व्यवहार को लेकर की गई है। इसलिए इन बिंदुओं के लिए जांच कमेटी का गठन किया जाएगा।



इस बीच आवेदिका आमानाका पुलिस थाना में किये गए कार्रवाई की जानकारी लेकर आयोग को सूचित करने को कहा गया।इसके साथ ही आवश्यकता पड़ने पर आमानाका थाने से सीधे रिपोर्ट मंगाई जा सकेगी। अनावेदक ने विभागीय कार्य का हवाला रखते हुए वकील रखने के लिए आयोग से निवेदन किया जिस पर आयोग द्वारा बाद में विचार किया जाएगा। इस प्रकरण को आगामी सुनवाई में निराकृत किया जा सकेगा। इसी तरह एम्स के दूसरे प्रकरण में आवेदिका ने अपनी पूरी जानकारी एम्स के डायरेक्टर डॉ नागरकर को अवगत कराया है। इस प्रकरण के अनावेदक सुनवाई में अनुपस्थित है और अनावेदक अभी कार्यरत नहीं है और उनके द्वारा आवेदिका के साथ जो भी निर्णय लिए गए हैं उसके लिए उनके खिलाफ व्यक्तिगत निर्णय लिया जा सकेगा। 


वर्तमान में आवेदिका के साथ हुए अन्याय पूर्ण रवैये के लिए उनके सर्विस रिकॉर्ड में जो भी टिप्पणी अनावेदक ने किया है उन सभी दस्तावेजों की जानकारी संक्षिप्त रूप में बनाकर आवेदिका एम्स के डायरेक्टर को 2 दिन में प्रस्तुत कर देगी। इसके साथ एम्स के डायरेक्टर आयोग को 15 दिन के भीतर अपना स्पष्ट रिपोर्ट प्रस्तुत कर देंगे। उसके बाद आवेदिका अनावेदक के विरुद्ध जो भी पक्ष रखेगी उसे अलग से सुना जाएगा। आगामी सुनवाई में अनावेदक के उपस्थिति के लिए पुलिस अधीक्षक के माध्यम से उपस्थित कराने के निर्देश दिए गए।


एक अन्य प्रकरण में जल जीवन मिशन के अंतर्गत राज्यस्तरीय प्रबंधन इकाई (spmu) के प्लेसमेंट एजेंसी कॉल मी सर्विसेस ने आवेदिका को 64 हजार रुपये की राशि आयोग के समक्ष दिया है। इस प्रकरण पर आवेदिका और अनावेदक गणो को विस्तार से सुना गया। जिसमें यह स्पष्ट है कि दोनों पक्षों की एक एक गलती हुई है और आवेदिका के पास निर्धारित 5 साल का अनुभव नहीं था। वहीं अनावेदकगणों ने त्रुटिवश राज्य स्तरीय स्थान पर नियुक्ति का आदेश जारी किया था और विभाग के द्वारा मिले दस्तावेज के आधार पर आवेदिका को कार्यमुक्त किया था। 


दोनों पक्षों की त्रुटि के आधार पर कोई कड़ा निर्णय लिया जाना सम्भव नहीं है, लेकिन आवेदिका ने एक महीने से अधिक कार्य किया था और कार्यालय में आना जाना कर रही है, लेकिन कार्यालय में कार्य नही किया इसे देखते हुए आवेदिका को दो माह का वेतन 64 हजार रुपये देने आयोग की ओर से अनावेदक को निर्देशित किया गया। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके पति का दूसरी औरत के साथ अवैध संबंध है।इस संबंध में उसके सास-ससुर दूसरी औरत और उसके पति का साथ दे रहे है। आयोग के समक्ष उपस्थित अनावेदक पति का कहना है कि दूसरी औरत अनावेदिका जबरदस्ती उनके घर में रह रही है और समाज वालों का कहना नहीं मान रही है। 


दूसरी औरत को पूछे जाने पर उसका कहना है कि आवेदिका ने उसके खिलाफ आरोप लगाकर उसका रिश्ता तोड़वाया तो वह आवेदिका के पति के साथ भोलेनाथ के मंदिर में शादी की हूं और स्वतः कहती है कि न कोई पंडित था, न कोई रस्म हुआ केवल मांग भरने से शादी हो गई। उससे पूछे जाने पर उसने यह भी स्वीकार किया कि उसे पता है कि आवेदिका के पति शादीशुदा है और तीन बच्चे का पिता भी है। उसे यह भी पता है कि आवेदिका के पति अपने पहली पत्नी से तलाक नहीं लिया है और तीन बच्चे की उसकी जिम्मेदारी है। अनावेदिका दूसरी औरत के इस तरह के अवैधानिक कृत्य के कारण आयोग द्वारा दूसरी औरत को नारी निकेतन तत्काल भेजा गया।


एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने पिछली सुनवाई में अनावेदक को 50 हजार रुपये देना स्वीकार किया था। जो की सुनवाई में नहीं दी है। FIR दर्ज किये जाने की बात सुनकर कल की सुनवाई में 50 हजार रुपये देना स्वीकार किया है। अनावेदक के पैसा वापस करने पर अग्रिम कार्यवाही किया जाएगा। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के प्रकरण को पूर्व में नस्तीबद्ध किया गया था। अनावेदक द्वारा आयोग के निर्देशों का पालन नहीं करने पुनः आवेदिका ने आयोग में शिकायत दर्ज की है जिसपर अनावेदिका के खिलाफ आवेदिका ने अपने फोन पर दोनो अनावेदकों के आपत्तिजनक फोटो आयोग को दिखाया। अनावेदिका ने आवेदिका से माफी मांगी और भविष्य में ऐसी गलती दोबारा नही करने की बात स्वीकार किया है। अनावेदिका स्वास्थ्य विभाग कोरबा में क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं। 


सिविल सेवा आचरण संहिता के तहत उसके इस तरह के अवैध सम्बंधों को लेकर आवेदिका उसकी शिकायत करने की अहर्ता रखती है। जिससे उसकी सेवा भी समाप्त की जा सकती है। आयोग की समझाइश के बाद अनावेदिका ने अपनी  गलती नहीं दोहराने की बात को स्वीकार किया है।यदि किसी भी दशा में अनावेदिका आवेदिका के पति से संबंध रखती है तब ऐसी दशा में आवेदिका आयोग की ऑर्डरशीट की प्रमाणित प्रतिलिपी के साथ दोनो अनावेदकगणो के विरुद्ध थाने में दर्ज करा सकेगी। जिससे अनावेदिका की सेवा समाप्ति की कार्रवाई कर सकेगी। आवेदिका को अनावेदक पति पिछले 3 माह का भरण पोषण राशि 15 हजार रुपये आयोग की आगामी सुनवाई 13 अप्रैल को आयोग के समक्ष देगा।साथ ही प्रति माह 5 हजार रुपये आवेदिका के बैंक खाता में देने निर्देशित किया गया है। जनसुनवाई में 29 प्रकरण में 23 पक्षकार उपस्थित हुए। 3 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। बाकी अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।

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