Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

कोरोना काल में 1 लाख 47 हजार बच्चों के सिर से उठा माता पिता का साया, NCPCR ने दी जानकारी

कोरोना लगातार पूरी दुनिया में कहर बरपा रहा है। वहीं इसकी चपेट में आने से किसी न किसी ने अपने परिवार के खास सदस्य को खोया है। ये वायरस भारत में जमकर तांडव मचा रहा है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई है। वहीं कोरोना की तीसरी लहर लगातार मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इससे पहले दूसरी लहर में ही कोरोना ने कई बच्चों की जिंदगी से हंसी-खुशी छीन ली। कोरोना के कारण कई बच्चों के सिर से मां-बाप का साया उठ गया। वहीं कई बच्चे अनाथ हो गए। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि अप्रैल 2020 से अब तक देश के 1 लाख 47 हजार 492 बच्चों ने कोरोना और अन्य कारणों के चलते अपने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को खोया है। इसमें 76 हजार 508 लड़के, 70 हजार 980 लड़कियां और 4 ट्रांसजेंडर बच्चे शामिल हैं।

NCPCR ने बताया कि उनका डेटा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ से बाल स्वराज पोर्टल-कोविड केयर पर दी गई जानकारी पर आधारित है। कमीशन ने बताया कि 11 जनवरी तक के डेटा के मुताबिक अप्रैल 2020 से देश में 10 हजार 094 बच्चे अनाथ हुए। 1 लाख 36 हजार 910 बच्चों ने किसी एक पेरेंट को खोया और 488 बच्चों के सिर से माता-पिता का साया छिन गया। कुल मिलाकर ये संख्या 1 लाख 47 हजार 492 है। इन बच्चों में सबसे ज्यादा 59 हजार 010 बच्चे 8 से 13 साल के हैं। इसके बाद 22 हजार 763 बच्चे 14 से 15 साल के हैं। 22 हजार 626 बच्चे 16 से 18 साल के और 26 हजार 080 बच्चे 4 से 7 साल की उम्र के हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक 1 लाख 25 हजार 205 बच्चे अपने माता या पिता के साथ हैं। वहीं 11 हजार 272 बच्चे परिवार के किसी सदस्य के साथ रह रहे हैं। जबकि 8 हजार 450 बच्चे किसी अन्य गार्जियन की देखरेख में हैं। 1 हजार 529 बच्चे किसी चिल्ड्रन होम में हैं। 19 बच्चे शेल्टर होम में हैं। 2 बच्चे ऑब्जर्वेशन होम में है। 188 अनाथालय में, 66 बच्चे स्पेशल अडॉप्शन एजेंसी और 39 बच्चे होस्टल में हैं। इनमें से सबसे ज्यादा ओडिशा के 24 हजार 405 बच्चे, महाराष्ट्र के 19 हजार 623 बच्चे, गुजरात के 14 हजार 770 बच्चे, तमिलनाडु के 11 हजार 014 बच्चे, उत्तर प्रदेश के 9 हजार 247, आंध्र प्रदेश के 8 हजार 760 बच्चे, मध्य प्रदेश के 7 हजार 340 बच्चे, पश्चिम बंगाल के 6 हजार 835 बच्चे, दिल्ली से 6 हजार 629 और राजस्थान से 6 हजार 827 बच्चे हैं।

NCPCR ने दी जानकारी

NCPCR ने कहा है कि वो सुनिश्चित कर रहा है कि इस महामारी में बच्चे किसी तरह प्रभावित न हों। इस बारे में आयोग राज्य कमीशन के साथ वर्चुअल मीटिंग में बच्चों के हितों की रक्षा के लिए उनकी तैयारियों का जायजा ले रहा है। आयोग ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि वो हर राज्य-केंद्रशासित प्रदेश के NCPCR के साथ क्षेत्रवार बैठकें कर रहा है और उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ एक वर्चुवल बैठक 19 जनवरी को होने वाली है।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.