उत्तर प्रदेश में किसानों के आत्महत्या (Farmers' suicide in UP) करने की खबरें लगातार सामने आ रही है। कई किसान कर्ज के तनाव में अपनी जान दे रहे हैं तो कई फसल खराब होने के कारण मौत को गले लगा रहे हैं। ताजा मामला बागपत जिले का है, जहां कथित रुप से कर्ज न चुका पाने पर एक किसान ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली है। ये घटना बिहारीपुर गांव में हुई। इस बात की पुष्टि पुलिस ने की है। पुलिस ने बताया कि किसान की आत्महत्या की खबर मिलते ही टीम तुरंत मौके पर पहुंची, जिसके बाद मृतक के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
पुलिस के मुताबिक बिहारीपुर गांव के रहने वाले 45 साल के किसान चौधरी अनिल कुमार का शव पड़ोसी किसान सुरेशपाल के खेत में पेड़ से लटका पाया गया। पुलिस ने बताया कि ग्रामीण किसान का शव पेड़ से उताकर तुरंत डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे, लेकिन तब तब उसकी मौत हो चुकी थी। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। मृत किसान के परिजनों का कहना है कि अनिल कुमार पर बैंक का करीब सात लाख रुपये और साहूकार का तीन लाख रुपये कर्ज था।
कोतवाली प्रभारी ने दी जानकारी
दोनों लगातार उन पर कर्ज वापस करने का दबाव बना रहे थे, जिसकी वजह से बहुत परेशान थे। परिवार के मुताबिक बेबस किसान अनिल चौधरी कर्ज चुका पाने में असमर्थ थे। इसकी वजह से पिछले कई दिनों से वह मानसिक तनाव में थे। इसीलिए उन्होंने आत्महत्या कर ली। कोतवाली प्रभारी अजय कुमार शर्मा ने बताया कि किसान के मानसिक तनाव में होने की बात सामने आई है। हालांकि कर्ज के बारे में किसी ने भी जानकारी नहीं दी है।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि अब मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। वहीं उप जिलाधिकारी बागपत अनुभव सिंह ने बताया कि किसान की मौत के मामले में जांच की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। यूपी में पहले भी कर्ज की वजह से किसानों की आत्महत्या करने की बात सामने आ चुकी है। पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जब कर्ज न चुका पाने की वजह से किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो गए। अब एक बार फिर बागपत के किसान को जान देने पर मजबूर होना पड़ा।
किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़े
साल 2020 में 2019 की तुलना में किसान और कृषि मजदूर की आत्महत्याओं में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 4 हजार 006 आत्महत्याओं के साथ महाराष्ट्र एक बार फिर लिस्ट में सबसे आगे हैं। इसके बाद कर्नाटक 2 हजार 016, आंध्रप्रदेश 889, मध्यप्रदेश 735 और छत्तीसगढ़ 537 में कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों ने आत्महत्या की है। ये राज्य 2019 में भी इस मामले में दूसरे राज्यों से आगे थे।
खुदकुशी के मामले में कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग सबसे ज्यादा
गुरुवार 28 अक्टूबर को भारत में आत्महत्या पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि किसानों और कृषि मजदूरों की आत्महत्या रुकने के बजाय बढ़ रही है। कुल मिलाकर देश में 2020 के दौरान कृषि क्षेत्र में 10 हजार 677 लोगों ने आत्महत्या की, जो देश में कुल आत्महत्याओं (1 लाख 53 हजार 052) का 7 प्रतिशत है। इसमें 5 हजार 579 किसान और 5 हजार 098 खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याएं शामिल हैं।
2017 में आई थी गिरावट
लगातार 4 साल गिरावट के बाद कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। 2016 में कुल 11 हजार 379 किसान और कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की थी। 2017 में इसमें गिरावट आई और संख्या 10 हजार 655 रह गई। 2018 में 10 हजार 349 तो 2019 में इस तरह के आत्महत्या के कुल 10 हजार 281 मामले सामने आए थे। 2020 में ऐसे मामलों की संख्या 10 हजार 677 रही।