आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, आचार्य चाणक्य का जन्म ईशा से 350 वर्ष पूर्व हुआ था, जिन्होंने अर्थशास्त्र और नीतिशाश्त्र (Economics and Ethics) की रचना की थी। जिसे ‘चाणक्य नीति’ (Chanakya Niti ) भी कहा जाता है। भले ही चाणक्य द्वारा लिखी गई बाते बहुत पुरानी हो, लेकिन उनके द्वारा कहे गये कथन आज भी उतने सटीक और सही साबित (Chanakya Niti For Successful Life) होती है।
आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti) और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे, लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें, लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार आचारण और गुणों से संबंधित है।
आचारण और गुणों को लेकर रहे सतर्क
चाणक्य नीति के मुताबिक जो माता-पिता अपने आचारण और गुणों को लेकर सतर्क और सावधान रहते हैं, उन्हें सच्चा संतान सुख प्राप्त होता है। बच्चों के मामले में माता पिता को बहुत ही गंभीर रहना चाहिए, जिस प्रकार एक माली अपने पौधों की रक्षा करता है, उन्हें जीव-जंतु, गर्मी, सर्दी और बारिश से बचाता है। उसी तरह से मां-बाप को भी अपनी बच्चे को योग्य बनाने के लिए प्रयास और प्रयत्न करने चाहिए।
आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति
चाणक्य ने विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की थी और बाद में वे इसी विश्वविद्यालय में आचार्य नियुक्त हुए। चाणक्य को शिक्षा प्रदान करने का विशाल अनुभव था। उनके जीवन का बड़ा हिस्सा विद्यार्थियों के बीच गुजरा था, इसलिए बच्चों के विकास को लेकर उनका अनुभव बहुत ही शोधपरक था। चाणक्य का मानना था कि बच्चों को अगर योग्य बनाना है तो माता पिता को शुरू से ही गंभीर हो जाना चाहिए। क्योंकि बच्चों पर माता-पिता का गहरा प्रभाव पड़ता है। माता पिता जिस प्रकार से आचरण करते हैं, बच्चों पर भी उसी तरह का प्रभाव देखने को मिलता है। इसलिए बच्चों के मामले में माता पिता को चाणक्य की इन बातों को जरूर जान लेना चाहिए।
मां-बाप की भाषा शैली होनी चाहिए मधुर और विनम्र
आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि मां-बाप की भाषा शैली मधुर और विनम्र होनी चाहिए। भाषा शैली का प्रभाव बच्चों पर ज्यादा पड़ता है। बच्चों को अगर शुरू से ही भाषा और बोली के महत्व को बताया जाए, तो जीवन में सफलता में सबसे ज्यादा सहायक साबित होती हैं। इसलिए माता पिता के सामने सदैव ही आर्दश और श्रेष्ठ भाषा शैली का प्रदर्शन करना चाहिए।
अपने बर्ताव को लेकर रहे सचेत
चाणक्य नीति कहती है कि बच्चों के सामने अपने बर्ताव को लेकर माता पिता को सचेत रहना चाहिए। बच्चों के सामने क्रोध, अहंकार और अनैति वर्ताब नहीं करना चाहिए। इससे बच्चों के मन और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। चाणक्य की चाणक्य नीति जीवन में सफल बनाने के लिए प्रेरित करती है। चाणक्य नीति व्यक्ति को अंधेर से निकाल कर रोशनी तरफ ले जाती है। यही कारण है आज भी बड़ी संख्या में लोग चाणक्य की चाणक्य नीति का अध्ययन और अनुकरण करते हैं। चाणक्य की शिक्षाएं वास्तविकता के काफी करीब हैं। यह वजह है कि आज भी चाणक्य की नीति की प्रासंगिकता बनी हुई है।
तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय में रहा महत्वपूर्ण योगदान
आचार्य चाणक्य महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। आचार्य का भारत की दो प्रमुख शिक्षा संस्थाओं तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण योगदान है। आचार्य ने पश्चिमी सीमाई राज्यों को आक्रांताओं के आक्रमण और अधिग्रहण से बाहर निकलने में सहायता की। मगध जनपद को धननंद के आतंक से मुक्त कराया। चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। चाणक्य को अर्थशास्त्र के साथ साथ समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, कूटनीति शास्त्र और सैन्य शास्त्र के भी ज्ञाता थे। आचार्य चाणक्य का संबंध विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय से भी था। चाणक्य ने तक्षशिला विश्व विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी और बाद में वे इसी विद्यालय में आचार्य हुए। चाणक्य ने हर उस रिश्ते के बारे में भी जानने और समझने की कोशिश की जो मनुष्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं।