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Earthquake: हैदराबाद और पूर्वी सिक्किम में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 4.0 मापी गई तीव्रता

आज सुबह 5 बजे दक्षिण हैदराबाद और पूर्वी सिक्किम में रविवार रात 8.39 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल (Richter Scale) पर इनकी तीव्रता 4.0 मापी गई है। हालांकि भूकंप में किसी के भी हताहत होने या कोई नुकसान होने की खबर नहीं है। 



नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने इस बात की जानकारी दी है। इससे पहले 21 जुलाई को लद्दाख में सुबह-सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.6 मापी गई थी। इसके अलावा दो और राज्यों में राजस्थान और मेघालय में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। राजस्थान के बीकानेर में रिक्टर पैमाने पर 5.3 तीव्रता का भूकंप आया था। वहीं मेघालय में भूकंप की तीव्रता 4.1 मापी गई थी।


       

वहीं 17 जुलाई को हिमाचल प्रदेश के आदिवासी जिले किन्नौर में 3.1 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप का केंद्र किन्नौर जिले में जमीन से 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। रात 11 बजकर 32 मिनट पर आए भूकंप के झटके किन्नौर और आसपास के जिलों में महसूस किए गए। इससे ठीक दो दिन पहले 15 जुलाई को शिमला में 3.6 की तीव्रता का भूकंप का झटका महसूस किए गए थे। भूकंप का केंद्र शिमला जिले में धरती के नीचे 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। जिले में और आसपास के इलाकों में शाम सात बजकर 47 मिनट पर झटका महसूस किया गया था।


Earthquake: राजस्थान और लद्दाख सहित देश के कई हिस्‍सों में महसूस किए गए भूकंप के झटके


बता दें कि बीते शनिवार को पूर्वोत्तर का राज्य मणिपुर भूकंप के झटकों से कांप गया था। शनिवार सुबह करीब 10 बजकर 12 मिनट पर मणिपुर में भूकंप आया था। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र उखरुल में था। भूकंप के इस झटके से किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है।


भूकंप आने का कारण


पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। दूसरे शब्दों में कहें तो पृथ्वी कई लेयर में बंटी होती है और जमीन के नीचे कई तरह की प्लेट होती है। ये प्लेट्स आपस में फंसी रहती हैं, लेकिन कभी-कभी ये प्लेट्स खिसक जाती है, जिस वजह से भूकंप आता है। कई बार इससे ज्यादा कंपन हो जाता है और इसकी तीव्रता बढ़ जाती है। 


इन जगहों पर ज्यादा महसूस किए जाते हैं झटके


भारत में धरती के भीतर की परतों में होने वाली भोगौलिक हलचल के आधार पर कुछ जोन तय किए गए हैं और कुछ जगह यह ज्यादा होती है तो कुछ जगह कम। इन संभावनाओं के आधार पर भारत को 5 जोन बांटा गया है, जो बताता है कि भारत में कहां सबसे ज्यादा भूकंप आने का खतरा रहता है। इसमें जोन-5 में सबसे ज्यादा भूकंप आने की संभावना रहती है और 4 में उससे कम, 3 उससे कम होती है।


 भूकंप की तीव्रता मापने का पैमाना


भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।


भूकंप से तबाही 

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है। अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है, लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता। समुद्र में भूकंप आने पर उंची और तेज लहरें उठती है जिसे सुनामी भी कहते हैं।


भूकंप आने पर क्या करें 

  • आपको भूकंप के झटके जैसे ही महसूस हों, वैसे ही आप किसी मजबूत टेबल के नीचे बैठ जाएं और कस कर पकड़ लें।
  •  जब तक झटके जारी रहें या आप सुनिश्चित न कर लें कि आप सुरक्षित ढंग से बाहर निकल सकते हैं, तब तक एक ही जगह बैठे रहें।
  •  अगर आप ऊंची इमारत में रहते हैं तो खिड़की से दूर रहें।
  •  आप बिस्‍तर पर हैं तो वहीं रहें और उसे कसकर पकड़ लें। अपने सिर पर तकिया रख लें।
  •  आप बाहर हैं तो किसी खाली स्‍थान पर चले जाएं यानी बिल्डिंग, मकान, पेड़, बिजली के खंभों से दूर।


भूकंप के प्रकार

 

  1. विवर्तनिक भूकंप: यह भूकंप का सबसे सामान्य रूप है। यह आम तौर पर पृथ्वी की क्रस्ट में मौजूद प्लेटों की गति के कारण होता है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट कहा जाता है।
  2. ज्वालामुखीय भूकंप: टेक्टोनिक भूकंप की तुलना में इस प्रकार का भूकंप कम सामान्य है। इस प्रकार के भूकंप ज्वालामुखी के विस्फोट से पहले या बाद में आते हैं। यह आम तौर पर मैग्मा के ज्वालामुखी से निकलने के कारण आता है, जो चट्टानों द्वारा सतह पर धकेला जाता है।
  3. संक्षिप्त भूकंप: इस प्रकार का भूकंप भूमिगत खानों में आता है। मुख्य कारण चट्टानों के भीतर उत्पन्न दबाव हो सकता है।
  4. विस्फोटक भूकंप: इस प्रकार का भूकंप कृत्रिम प्रकृति का होता है, जिसका अर्थ है कि यह मानव निर्मित गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होता है। परमाणु विस्फोट जैसे जमीन पर उच्च-घनत्व विस्फोट, विस्फोटक भूकंप का प्राथमिक कारण हैं। 
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