मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के अंतर्गत बस्तर जिले को मलेरिया से मुक्ति प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के द्वारा युद्ध स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। अभियान के चौथे चरण को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के अलावा मितानिन तक के मैदानी अमले के सभी अधिकारी-कर्मचारियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दिया है। बारिश के अलावा नदी, नाले, पहाड़ और दुर्गम रास्ते भी इस अभियान को सफल बनाने पूरे मनोयोग से कार्य कर रहे अधिकारी-कर्मचारियों की उत्साह को कम नहीं कर पा रही है। चौथे चरण के अभियान में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी जिले के अतिसंवेदनशील और सुदूर वनांचल के ग्रामों में नदी, नालों और पहाड़ों को पार करते हुए पहुंचकर ग्रामीणों की मलेरिया जांच कर रहे हैं।
अधिकारी-कर्मचारियों ने मलेरिया जांच में पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों को मलेरिया रोधी दवा का वितरण और इसके बचाव के लिए आवश्यक सुझाव भी दिया जा रहा है। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि बस्तर जिले के मलेरिया मुक्त बनाने के लिए मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ के चौथे चरण का अभियान 15 जून से शुरू किया गया है, जो 31 जुलाई तक निरंतर चलेगी। बता दें कि बस्तर जिले में मलेरिया मुक्त अभियान के प्रथम चरण में 5 हजार 203, द्वितीय चरण में 4 हजार 909 और तृतीय चरण में 1818 मलेरिया के पॉजिटिव प्रकरण पाए गए हैं। चौथे चरण के इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के 162 टीम के द्वारा 1 लाख 46 हजार 677 जनसंख्या वाले 149 पहुंचविहीन अतिसंवेदनशील गांवों के 1 लाख 19 हजार 218 लोगों की मलेरिया जांच की जा चुकी है। इसके में से 1333 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए, जिनका तुरंत इलाज किया गया है।
मलेरिया मरीजों में 40% की कमी
स्वास्थ्य विभाग के सर्वे के दौरान जिले के 283 घरों में मच्छरों के लार्वा भी पाया गया, जिसे नष्ट करने की कार्रवाई की गई है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा दवाई और मच्छरदानी के वितरण के अलावा आम लोगों को मलेरिया के उपायों के संबंध में भी जानकारी दी जा रही है। इसके अंतर्गत बस्तर जिले में अब तक 3 लाख 75 हजार 240 मच्छरदानी का वितरण किया जा चुका है। इसके साथ ही 16 जून सिंथेटिक पायरेथ्राईड और डीडीटी छिड़काव किया जा रहा है। मलेरिया के रोकथाम के लिए जिले के सभी विकासखंडों के 319 पहुंचविहीन अतिसंवेदनशील गांवों में मच्छररोधी दवाओं के छिड़काव का लक्ष्य रखा गया है। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि बस्तर जिले में साल 2017 में वार्षिक परजीवि सूचकांक 15.05 साल 2019 में 7.29 और साल 2020 में 4.19 वार्षिक परजीवी सूचकांक प्रति हजार में है। साल 2020 के तुलना में साल 2021 सकारात्मक मलेरिया मरीजों की 40 प्रतिशत कमी आई है।