Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

Chandra Grahan 2021- साल 2021 का पहला चंद्रग्रहण, जानें क्यों हैं खास


2021 में कुल 4 ग्रहण लगेंगे जिसमे 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्रग्रहण शामिल हैं। आज साल 2021 का पहला चंद्र ग्रहण लगने वाला है। वैशाख मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि बुधवार को खग्रास चन्द्र ग्रहण लग रहा है। यह भारत में कुछ स्थानों पर दृश्य होगा तथा भारत में इस ग्रहण का स्पर्श, समिम्लन, उन्नमिलन, मध्य तथा मोक्ष सभी दृश्य होंगे।





यहा ग्रहण दोपहर 2:18 बजे से शुरू होकर पांच घंटे बाद शाम 7:19 बजे समाप्त होगा| यह उपछाया चंद्र ग्रहण केवल पश्चिम बंगाल, बंगाल की खाड़ी और उत्तरपूर्व के कुछ हिस्सों से ही छाया के रूप में नजर आएगा| कुछ क्षेत्रों में ग्रस्तोदय के रूप में इस ग्रहण को देखा जा सकता है| इसके सूतक का विचार भी संपूर्ण देश में नहीं होगा| जिन स्थानों पर ग्रहण दिखेगा, वहीं पर सूतक का विचार रहेगा| इंफाल में 25 मिनट और कोलकाता में मात्र छह मिनट यह ग्रहण होगा|





उपर्युक्त स्थानों के अलावा समस्त भारत पश्चिमोत्तर-दक्षिण एवं बिहार राज्य के किसी भी स्थान पर सायंकाल चंद्रोदय 6.21 बजे के बाद ही होगा। शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण आरंभ समय से नौ घंटे पहले से ही आरंभ हो जाता है| अत: इसका सूतक प्रात: 06:15 से ग्रसित क्षेत्रों में ही मान्य होगा अन्यत्र कहीं विचार नहीं किया जाएगा|





ग्रहण एक खगोलीय अवस्था है जिसमें कोई खगोलीय पिंड जैसे ग्रह या उपग्रह किसी प्रकाश के स्रोत जैसे सूर्य और दूसरे खगोलीय पिंड जैसे पृथ्वी के बीच आ जाता है जिससे प्रकाश का कुछ समय के लिये अवरोध हो जाता है| चाँद या चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है| ऐसी स्थिती में चाँद पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है, ऐसा सिर्फ पूर्णिमा के दिन संभव होता है|





आध्यात्मिक स्तर पर ग्रहण





आध्यात्मिक स्तर पर ग्रहण एक विशेष घटना है उस समय वातावरण में रज-तम बढ जाता है जिसका मानव पर हानिकारक प्रभाव होता है| बढे हुए रज-तम का लाभ उठाकर अनिष्ट शक्तियां अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करती हैं, जिनका वैश्वि-क स्तर पर नकारात्मक परिणाम होता है| माना जाता है कि चंद्रमा मन को प्रभावित करता है|





पूर्णिमा की रात को इसका प्रभाव और भी अधिक होता है यह प्रभाव चंद्रग्रहण के काल में और बढ जाता है| इस प्रकार पूर्णिमा और चंद्रग्रहण एक साथ होने से यह अत्यधिक होता है| परंतु यह अमूर्त सूक्ष्म स्तर पर होता है अथार्त लोगों को कष्ट अनिष्ट शक्तियों के कारण होता है| ऐसे समय लोगों की निर्णय क्षमता न्यून हो जाती है फलस्वरूप त्रुटिपूर्ण निर्णय लेने की आशंका बढ जाती है, क्योंकि उनकी बुद्धि भी प्रभावित होती है| इस कारण लोग शारीरिक स्तर पर आलस्य, थकान, अस्वस्थता आदि का अनुभव कर सकते है|


Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.