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सहकारी और किसान आंदोलन के प्रणेता भूषण लाल चंद्रनाहू की पुण्यतिथि आज


ये हैं सहकारी और किसान आंदोलन के प्रणेता समाजवादी चिंतक भूषण लाल चंद्रनाहू। भूषणलाल का जन्म 13 मार्च 1919 में ग्राम फरफौद (आरंग) जिला रायपुर में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा ग्राम फरफौद, माध्यमिकशिक्षा महासमुन्द से प्राप्त कर इंटर मिडियेट की शिक्षा मारिसकालेज नागपुर में प्राप्त किया। उच्च शिक्षा के लिए ख्याति प्राप्त काशी विश्वविद्यालय बनारस चले गये। जहाँ से उन्होंने एम.ए. और एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की।





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भूषणलाल सन 1948 में जिला रायपुर के 26 किसानों को संगठित कर एक लाख 51 हजाररूपये एकत्रित करके कंपनी बनाकर महासमुन्द में किसान राईस मिल की नींव रखी।  सदस्यों में छ.ग. शासन के पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के दादाराधेश्याम चन्द्राकर कुरूद, शेरसिंग बेमचा, भेखलाल मुड़मार,माखनलाल कोना, बेनीराम, छंगू लाल बिरकोनी, भूषणलाल,गोरेलाल सोरंसिंघी, तुकाराम बकमा, और बृजभूषण लाल लभरा, जगनाथी, शारदा प्रसाद केशवराम, गणेशराम, किरीत राम, लोकनाथ,उदयराम, रामधीन महासमुन्द, उदयराम खुसरूपाली, आनंदराम खैरा, बाबूलाल बावनकेरा थे। तब भूषणलाल चन्द्रनाहू को महासमुन्द केकिसानों द्वारा किसान राइस मिल का मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया गया।





सहकारिता से स्वावलंबी आंदोलन 





सन 1949 में स्वतंत्रता संग्राम के नेता त्यागमूर्ति ठा. प्यारेलाल सिंह और राजचरण मिश्रा किसानों के संगठन से प्रभावित होकर महासमुन्द आये। उन्होंने स्वावलंबी बनने  सहकारिता आंदोलन से राईस मिल कोजोड़ने प्रेरित किया। उनकी प्रेरणा से महासमुन्द किसान सहकारीराईस मिल मर्यादित महासमुन्द का पंजीयन रजिस्टार को-ंआपरेटिव सोसायटीसी.पी. एण्ड बरार नागपुर से कराया गया। यह संभवतः देश का प्रथम सहकारी राईस मिल है।





प्रथम सहकारी राइस मिल





भूषणलाल के द्वारा वरिष्ठ सदस्य मन्नूलालचन्द्राकर को अध्यक्ष मनोनीत कर स्वयं उपाध्यक्ष पद से मिल को संचालित करते रहे। अजादी केबाद सी.पी. बरार राज्य का पुर्नगठन किया गया और  यह मध्यप्रदेशमें सम्मिलित किया गया। कालान्तर में महासमुन्द किसान सहकारी राईस मिलसे प्रेरित होकर मध्यप्रदेश शासन के द्वारा छत्तीसगढ़ के सभी विकासखण्डों में सहकारी चावल मिल एवं विपणन समितियों का गठन किया गया। जिससे इसका नामकरण महासमुन्द किसान सहकारी राईस मिल एवं विपणन समिति मर्या. महासमुन्द हो गया। सहकारी आंदोलन का प्रथम राईस मिल आज बंद होने के हालात में है।





प्रथम चुनाव में समाजवादी प्रत्याशी





सन् 1952 के प्रथम आम चुनाव में विधानसभा क्षेत्र महासमुन्द से भूषणलाल समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी थे। आजादी का श्रेय कांग्रेस पार्टी को था। जिससे मतदाता पूरे देश मेंकांग्रेस पार्टी को विजयी बनाये, इसी कारणवश भूषणलाल विजयी नहीं हो सके। इसके बाद फिर उन्होने कभी भी चुनाव नहीं लड़ने का संकल्प लिया। पार्टी के संगठन के लिये काम करने की सार्वजनिक घोषणा की। सन्1956 में उन्होने किसान सहकारी राईस मिल के उपाध्यक्ष पद को त्यागकर अस्वस्थ्य पिता की सेवा के लिये ग्राम बनपचरी (पटेवा) में स्थाई रूप से निवास करने लगे। 





सामाजिक जीवन में योगदान





सन् 1966 के पूर्व जिला रायपुर, दुर्ग के अंतर्गत धमतरी, महासमुन्द, बलौदाबाजार, कवर्धा तहसीलों में चन्द्रनाहू कुर्मी समाज में वे सामाजिक राजा हुआ करते थे। तब निर्वाचित संगठन नहीं था। सन् 1966 मेंचन्द्रनाहू कुर्मी समाज का धमतरीराज, महासमुन्दराज, दुर्गराज, कवर्धाराज,एवं लवनराज का गठन कर छत्तीसगढ़ स्तर पर केन्द्रीय कमेटी गठित किया गया। जिसका प्रथम केन्द्रीय अध्यक्ष भूषणलाल को मनोनीत  किया गया। उनकेद्वारा सन् 1969 में डंगनिया रायपुर में बीस हजार रुपये में भूमि खरीदी कर चन्द्राकर छात्रावास की नींव डाली गई।





किसान आंदोलन में अहम भूमिका, जेल यात्रा 





सन् 1974 में सम्पूर्णछत्तीसगगढ़ में भंयकर सूखा अकाल पड़ा था। कांग्रेस पार्टी के मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा, छत्तीसगढ़ में अकाल पीड़ित किसानों से धान की लेव्ही वसूली का आदेश किया गया। राजस्व विभाग के अनुविभागीय अधिकारी एवं तहसीलदार, पुलिस बल के साथ किसानों के घर में घुसकर धान कीलेव्ही वसूली करने लगे।





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लोकशाही के विरूद्ध में तानाशाही करते हुएकिसानों को अपमानित कर अत्याचार किया जाने लगा। तब आरंग जिला रायपुर में भूषणलाल, जीवनलाल साव, के नेतृत्व में किसानों के द्वारालेव्ही विरोधी आंदोलन चलाया गया। इसके प्रथम जत्था में 35किसानों ने भूषणलाल के नेतृत्व में जेल भरो आंदोलन किया। उन्हें 15 दिवस के लिए न्यायालय के द्वारा जेल भेज दिया गया। देश मेंआपातकाल के बाद 1977 में लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के वियजीहो सत्तारूद्ध होने के बाद विधानसभा चुनाव में  महासमुन्द से उन्हें प्रत्याशी बनने के लिए आग्रह किया गया। जिसे उनके द्वारा अस्वीकार दियागया। 24 फरवरी 1980 में उनका स्वर्गवास हो गया। लेकिन उनकी प्रेरणा से आज भी सहकारी एवं समाजवादी आंदोलन जारी है।


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