Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

नहीं रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री बूटा सिंह, AIIMS में ली अंतिम सांस

Document Thumbnail

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्र सरकार में कई पदों पर रह चुके बूटा सिंह का शनिवार सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन (former CM Buta singh passed away) हो गया है। 86 वर्षीय बूटा सिंह का नई दिल्ली में निधन हुआ है। उनका अंतिम संस्कार भी आज ही किया जाएगा।






https://twitter.com/narendramodi/status/1345235144614047744




पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह के निधन की खबर से उनके समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) सहित कई नेताओं और मंत्रियों ने उनके निधन पर शोक जताया है। पीएम ने ट्वीट कर लिखा है कि 'बूटा सिंह जी गरीबों के कल्याण के साथ-साथ दलितों के कल्याण के लिए एक प्रशासक और प्रभावी आवाज थे। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदना।'






https://twitter.com/RahulGandhi/status/1345236473839194115




राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ट्वीट कर लिखा है कि 'सरदार बूटा सिंह जी के देहांत से देश ने एक सच्चा जनसेवक और निष्ठावान नेता खो दिया है। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा और जनता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया, जिसके लिए उन्हें सदैव याद रखा जाएगा। इस मुश्किल समय में उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएं।'





1934 को पंजाब के मुस्तफापुर गांव में हुआ था सरदार बूटा सिंह का जन्म





21 मार्च 1934 को पंजाब के जालंधर जिले के मुस्तफापुर गांव में जन्मे सरदार बूटा सिंह (Sardar Buta Singh, born in Mustafapur village of Jalandhar district of Punjab) 8 बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। वे नेहरू-गांधी परिवार के विश्वासपात्र रहे है। सरदार बूटा सिंह ने भारत सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री, कृषि मंत्री, रेल मंत्री, खेल मंत्री और अन्य कार्यभार के इलावा बिहार के राज्यपाल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।






https://twitter.com/rashtrapatibhvn/status/1345248555817029632




छत्तीसगढ़ में 1 जनवरी तक 52.64 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी, अब तक इतने लाख किसानों ने बेचा धान





बता दें कि बूटा सिंह (former CM Buta singh passed away) जालोर-सिरोही से चार बार लोकसभा के सांसद रहे। इस दौरान उन्होंने यहां कई तरह के विकास के कार्यों को करवाया। जिन्हें जालोर-सिरोही की जनता आज भी याद करती है। जालोर-सिरोही लोकसभा क्षेत्र से बूटा सिंह ने सांसद चुने जाने के बाद आवागमन के संसाधनों का जाल बिछा दिया।





बूटा सिंह के कार्यकाल में हुए है ये काम





बूटा सिंह (Sardar Buta Singh) के सांसद रहने के दौरान आबूरोड सिरोही और जालोर में बस स्टेशन भवनों का निर्माण, सड़कों का निर्माण और जालोर जिले में तिलम संघ की एक औद्योगिक इकाई स्थापित की गई। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिला। इसके साथ ही उन्होंने जालोर में महाविद्यालय, सिरोही-जालोर के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री के पद पर रहते हुए दिल्ली पुलिस सीआरपीएफ, बीएसएफ आदि पुलिस बलों की भर्ती आयोजित करवाई। जिससे सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को नौकरी मिली।






https://twitter.com/bhupeshbaghel/status/1345254555488022529




छत्तीसगढ़ में 99 पुलिसकर्मियों को मिला प्रमोशन, देखें पूरी लिस्ट





वहीं बूटा सिंह (Sardar Buta Singh) के सांसद रहने के दौरान जालोर सिरोही जिले में पहली बार बीएसएनल मोबाइल के टॉवर स्थापित कर सबसे पहले मोबाइल नेटवर्क से दोनों जिलों को जोड़ना सहित कई अन्य विकास कार्य बूटा सिंह के नाम से जाने जाएंगे। जालोर जिले को ट्रेन से जोड़ने का काम भी बूटा सिंह के कार्यकाल में किया गया। बूटा सिंह तीसरी, चौथी, पांचवी और सांतवी लोकसभा के सदस्य रहे। उसके बाद वे जालोर-सिरोही संसदीय क्षेत्र से क्रमश: 1984, 1991, 1998 और 99 में लोकसभा सांसद रहे।





सरदार बूटा सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी का दिया था साथ





बता दें कि जब साल 1977 में जनता लहर के कारण कांग्रेस पार्टी बुरी तरह से हार गई थी और इस कारण पार्टी विभाजित हो गई थी, तो सरदार बूटा सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी का साथ दिया था। पार्टी के एकमात्र राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कड़ी मेहनत करने के बाद पार्टी को 1980 में फिर से सत्ता में लाने के लिए उन्होंने अमूल्य योगदान दिया था।






https://twitter.com/plpunia/status/1345248372861534208




2021 में रिटायर हो रहें है पुलिस विभाग के 22 अधिकारी, देखें पूरी लिस्ट





बूटा सिंह (Sardar Buta Singh) कांग्रेस से तब जुड़े थे जब पंडित जवाहर लाल नेहरू पीएम बने थे। वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की कैबिनेट में रह चुके थे। उन्होंने देश में दलित नेता के रूप में पहचान बनाई। वह अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) के महासचिव (1978-1980), भारत के गृह मंत्री और बाद में बिहार के राज्यपाल (2004-2006) बने।





New Side Effect of Corona Virus: कोरोना का एक नया साइड इफेक्ट आया सामने, शरीर के इस हिस्से में फैल रहा इंफेक्शन





बूटा सिंह दलितों के मसीहा के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने भारत में और विदेशों में विशेष रूप से अकाल तख्त साहिब के पुन निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं साल 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद उन्होंने दिल्ली और अन्य स्थानों पर गुरुद्वारों के पुनर्निर्माण में भी भूमिका निभाई।


Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.