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किसान आंदोलन ने भरा सरकार का खजाना, अब तक प्रदर्शन में खर्च हुए 225 करोड़ से ज्यादा रुपये


किसान संगठनों और सरकार के बीच कृषि कानूनों को लेकर बातचीत अब भी बेनतीजा ही है। इस दौरान किसान लगातार सरकार का खजाना भर रहे हैं। दो महीने से जारी किसान आंदोलन और आज निकलने वाली ट्रैक्टर रैली में पेट्रोल-डीजल की खर्च(Kisan Protest Expenses) की बात करें तो अब तक तकरीबन 225 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च किसान कर चुके हैं।





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किसान संगठनों के मुताबिक, ट्रैक्टर परेड (Republic Day Tractor Rally)में करीब दो लाख वाहन शामिल होंगे, जबकि पिछले 60 दिन में लगभग दो लाख वाहन ऐसे थे, जो अपनी बारी के हिसाब से दिल्ली की बाहरी सीमा तक आवाजाही करते रहे हैं। इनके अलावा एक लाख पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियां, जिनमें कार और बाइक शामिल हैं, भी इस आंदोलन का हिस्सा रही हैं। किसान आंदोलन शुरू होने से लेकर ट्रैक्टर रैली तक की सभी गतिविधियों में करीब 5 लाख से ज्यादा वाहनों को इस्तेमाल किया गया है।





5 लाख से ज्यादा किसान होंगे शामिल(Kisan Protest Expenses)






पेट्रोल के दाम में सेंट्रल एक्साइज और वैट का 63 फीसदी हिस्सा रहता है। डीजल में यह 60 फीसदी है। किसान नेता बताते हैं कि हमने जो रूटमैप बनाया है, उसके तहत रैली के दौरान ट्रैक्टर चार सौ किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करेंगे। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से भारी संख्या में ट्रैक्टर दिल्ली की सीमा पर पहुंच चुके हैं। हमारा अनुमान है कि ट्रैक्टर रैली में पांच लाख से अधिक किसान शामिल होंगे। इनमें महिलाओं की बड़ी तादाद रहेगी। पंजाब जम्हूरी किसान सभा के महासचिव के अनुसार, इस ट्रैक्टर रैली को दुनिया देखेगी। करीब दो से ढाई लाख ट्रैक्टर दिल्ली के बाहर खड़े हैं।





ट्रैक्टर रैली का रोड मैप






ट्रैक्टर रैली में भले ही किसान नेता चार सौ किलोमीटर की दूर तय करने की बात कह रहे हैं, मगर दिल्ली यातायात पुलिस ने जो रूट मैप तैयार किया है, उसके मुताबिक पौने दो सौ किलोमीटर की दूरी बनती है। इसमें सिंघु बॉर्डर से केएमपी एक्सप्रेस हाई-वे तक 63 किलोमीटर की दूरी शामिल है। दूसरा मार्च, टिकरी बॉर्डर से वेस्टर्न पेरीफैरियल एक्सप्रेस-वे तक रहेगा। इसकी लंबाई करीब 63 किलोमीटर रहेगी। तीसरा रूट, गाजीपुर से केजीटी एक्सप्रेस-वे तक का है, जो 46 किलोमीटर लंबा है।


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