हर इंसान की चाहत होती है कि उसका खुद का सपनों का घर हो अपना जमीन जायदाद हो, लेकिन आज हम जिसके बारे में आपको बताने जा रहे हैं उसने कुछ ऐसा किया है, जिसको सुनकर आपको हैरानी होगी। हम बता कर रहे हैं मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore of Madhya Pradesh) में रहने वाले सुयश दीक्षित (Suyash dixit) की, जिन्होंने खुद का ही देश बना लिया है और खुद ही वहां के राजा बन बैठे हैं। जी हां इस भारतीय ने जो किया वो बहुत दिलचस्प है।

सुयश दीक्षित ने लावारिस जमीन पर झंडा फहरा कर खुद को वहां का राजा घोषित कर दिया है। सुयश अब महाराज सुयश बन चुके हैं। उसके देश का नाम किंगडम ऑफ दीक्षित है। वहीं उनके राजधानी का नाम सुयशपुर है और इस देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष सुयश के पिता है। उन्होंने अपने पिता को जन्मदिन पर ये देश गिफ्ट में दे दिया है।
दरअसल मिस्त्र और सूडान के बीच में करीब 800 स्क्वॉयर मील की एक जगह ऐसी है, जो किसी देश के अंदर नहीं आता। इस जमीन पर न तो मिस्त्र दावा करता है और न ही सूडान। इस लावारिस जगह के बारे में सुयश ने पहले से पढ़ रखा था। उसने मौके का फायदा उठाया और वहां जाकर झंडा फहराकर खुद को वहां का राजा घोषित कर दिया।

इस जगह का नाम बीर तवील है, जो पूरी तरह से रेगिस्तान और बंजर का इलाका है। ये एक नोमेंस लैंड है। जहां जाकर सुयश ने अपना झंडा गाड़ा, जमीन में बीज रोपा और खुद को वहां का राजा घोषित कर दिया।

ये यह पूरा इलाका रेगिस्तानी है, जो मिस्त्र और सूडान की दक्षिणी सीमा से लगा हुआ है। इसके अलावा इस देश को अस्तित्व में लाने के लिए एक वेबसाइट भी बना डाली है। अगर कोई भी इस देश की नागरिकता लेना चाहता है तो वो इस वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करवा सकता है।
बता दें कि सुयश दीक्षित इंदौर के एक साबुन बनाने वाली कंपनी के सीईओ हैं। सुयश को बचपन से ही यात्रा करने में काफी रुचि है। वे बताते हैं कि इस जगह तक पहुंचने के लिए उन्हें कई खतरनाक और आतंकवाद से भरे इलाकों से भी गुजरना पड़ा है। जानकरी के मुताबिक सुयश दीक्षित अपने ऑफिस के काम से मिस्त्र गया था।
सुयश का कहना है कि जब उनको इस बात की भनक लगी कि कोई ऐसी जमीन भी है, जो किसी देश के अधीन नहीं है, तो वे सीधे अपना झंडा लेकर पहुंच गए और जमीन को अपना बना लिया और बन बैठे वहां के राजा| सुयश ने न सिर्फ इस नए देश को ‘किंगडम ऑफ दीक्षित’ का नाम दिया है, बल्कि युएन से इस देश को स्थापित करने और इसे अधिकारी देने की बात भी कही है।

बता दें कि हाल ही में सुयश दीक्षित ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने अपने नए देश के बारे में कई दिलचस्प बाते बताई हैं। सुयश के मुताबिक किंगडम ऑफ दीक्षित की राजधानी सुयशपुर होगी और यहां की राष्ट्रीय पशु छिपकली होगी। ऐसा नहीं है कि सुयश इस जमीन पर कब्जा करने वाले पहले शख्स हैं।

इससे पहले भी कई लोग इस पर अपना हक बता चुके हैं और इसे हथियाने की कोशिश कर चुके हैं। हालांकि युएन को किए गए ई-मेल का अभी तक कोई जवाब सुयश को नहीं आया है, लेकिन सुयश अब अपने आपको वहां का राजा मान कर ही चल रहे हैं। अपने आपको किंग घोषित करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने फोटो भी डाल दिए हैं।

सुशय ने अपने फेसबुक जब पहली बार उस क्षेत्र पर दावा करते हुए तस्वीरें डाली तो पूरी दुनिया में हलचल मच गई थी। उन्होंने अपनी कहानी भी शेयर की है, जिसमें बताया है कि वे 319 किमी का सफर कर यहां तक पहुंचे। उनके मुताबिक रेगिस्तानी क्षेत्र में पहुंचने के लिए कोई सड़क भी नहीं थी। यहां आकर उन्होंने पौधा लगाने के लिए बीज बोया और उसे पानी दिया। सुशय का कहना है कि यहां पौधे का बीज लगाकर अब मैं यह दावा करता हूं कि यह सारी जगह मेरी है।
सुयश ने अपने पिता को बर्थ-डे का गिफ्ट देते हुए उन्हें 'किंगडम ऑफ दीक्षित' का प्रधानमंत्री बनाया है। उन्होंने https://kingdomofdixit।gov।best/ नाम से एक वेबसाइट भी बनाई है, जिस पर इस नए देश की नागरिकता के लिए लोग रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
सुयश अपने नए देश के लिए नियम और कानूनों को बनाने में जुटे हैं। लोग उन्हें सुझाव दे रहे हैं। आप भी इस देश की नागरिकता इस वेबसाइट पर जाकर ले सकते है।
जानिए कुछ खास बातें जो उन्होंने अपनी वेबसाइट पर बताई है-
- देश की कुल जनसंख्या सिर्फ 1 है।
- इस देश की राजधानी का नाम सुयशपुर है।
- इस देश की स्थापना 5 नवंबर 2017 को हुई।
- सुयश ने देश का राष्ट्र पशु छिपकली को चुना है। क्योंकि वहां सिर्फ उन्हें छिपकली ही दिखीं हैं।
बता दें कि इस देश की नागरिकता के लिए अब तक 800 आवेदन मिले हैं। किंगडम ऑफ दीक्षित का क्षेत्रफल 2600 वर्ग कि।मी। है और इसकी मौजूदा आबादी सिर्फ 1 है। किंगडम ऑफ दीक्षित की राजधानी सुयशपुर है। 5 नवंबर 2017 को स्थापित इस देश का राष्ट्रीय पशु है छिपकली।

वहीं सुयश से पहले 2014 में एक शख्स जिसका नाम जेरमी हीटन था, उन्होंने इस जगह को अपना बताया था। लेकिन सुयश यूएन से मान्यता लेने की कोशिश कर रहे हैं। अब ये देखना है कि वो कितना सफल हो पाते हैं।