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अनियंत्रित डायबिटीज और स्टेरॉयड के ज्यादा उपयोग से ब्लैक फंगस की संभावना अधिक

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छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस (म्युकर माइकोसिस) से ग्रसित मरीज के प्रकरण आ रहे हैं। अभी तक प्रदेश में 76 प्रकरण सामने आए हैं और उनका इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में इसके इलाज के लिए पर्याप्त दवाइयां हैं। राज्य में ब्लैक फंगस (म्युकर माइकोसिस) का इलाज सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में किया जाएगा।





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ब्लैक फंगस संक्रामक बीमारी नहीं है। यह एक मरीज से दूसरे मरीज को नहीं फैलता है। यह सेंकेडरी संक्रमण की श्रेणी में आता है। यह उन मरीजों को ज्यादा प्रभावित करता है, जिन्हें अनियंत्रित डायबिटीज हो और कोविड से ग्रस्त होने के कारण स्टेरॉयड दवाई से उनका इलाज हुआ हो। यह बीमारी व्यक्तिगत साफ सफाई, मुह की साफ सफाई नहीं रखने वाले व्यक्तियों को ज्यादा हो सकती है। इसके अलावा जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ हो और उन्हे इम्यूनोसप्रेसेंट दवाइयां दी गई हो ,उनमें भी ब्लैक फंगस होने की संभावना ज्यादा होती है।





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पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए राज्य के तकनीकी समिति के विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को जारी किया है।





ब्लैक फंगस की सामान्य जानकारी और उससे बचने के उपाय





ब्लैक फंगस (म्युकर माइकोसिस) एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है, जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है और दवाईयां ले रहे हैं। इससे उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होती है। अगर व्यक्ति के शरीर में यह फंगस सूक्ष्म रूप में शरीर के अन्दर चला जाता है तो उसके साइनस या फेफड़े प्रभावित होंगे, जिससे गम्भीर बीमारी हो सकती है। अगर इस बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया गया तो यह घातक हो सकती है।





इन लोगों को हो सकती है बीमारी





यह बीमारी कोविड-19 मरीजों में जो डायबीटिक मरीज हैं या अनियंत्रित डायबीटिज वाले व्यक्ति को, स्टेरॉइड दवाइयां ले रहे व्यक्ति को या ICU में अधिक समय तक भर्ती रहने से यह बीमारी हो सकती है। अगर बताएं गए लक्षण दिखे तो चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना चाहिए।





बीमारी के लक्षण





आंख-नाक में दर्द और आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या लाल तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द होना, चेहरे में एक तरफ सूजन होना, नाक-तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दांतों का ढ़िला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में परिवर्तन आना।





कैसे बचा जा सकता है





धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहन कर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर।


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