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सरकार कृषि कानून स्थगित करने पर हुई राजी

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दिल्ली की सीमाओं पर तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 55 दिनों से जारी आंदोलन के बीच आज (बुधवार) किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 10वें दौर की बातचीत एक बार फिर बेनतीजा ही खत्म हो गई। बैठक के दौरान सरकार ने सहमित बनने तक कृषि कानूनों को स्थगित करने का प्रस्ताव (Proposal to Defer Agricultural Law) दिया है। सरकार के प्रस्ताव को लेकर किसान नेताओं ने विज्ञान भवन में अलग से बैठक की। कुछ देर बैठक करने के बाद किसान नेताओं ने तय किया कि वे गुरुवार को अन्य किसानों से बातचीत करने के बाद फैसला लेंगे।





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वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक में कहा कि आज प्रकाश पर्व का शुभ दिन है। हमें इस मुद्दे पर मिलकर कोई बीच का रास्ता निकालना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आखिर कब तक किसान इस आंदोलन के कारण सड़कों पर बैठे रहेंगे। इसके लिए हम सभी को मिलकर समाधान निकालना पड़ेगा।





कानून लागू नहीं करेंगे : नरेंद्र सिंह तोमर(Proposal to Defer Agricultural Law)





कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि हम तीनों कानूनों पर आपके (किसान नेताओं) साथ बिंदुवार चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार किसी भी कीमत पर कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार और किसान संगठनों के नेताओं की एक कमेटी बना देते हैं, जब तक बीच का रास्ता नहीं निकलेगा तब तक हम कानून को लागू नहीं करेंगे। सरकार ये एफिडेविट सुप्रीम कोर्ट में भी देने को तैयार हैं। 


किसान आंदोलन और कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई

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प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध बरकरार है, इस बीच उच्चतम न्यायालय नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन (farmer's protest news) से जुड़ी याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगा।





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केंद्र और किसान संगठनों के बीच 7 जनवरी को हुई आठवें दौर की बाचतीच में भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आया, क्योंकि केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया. जबकि किसान नेताओं ने कहा कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और उनकी 'घर वापसी' सिर्फ 'कानून वापसी' के बाद होगी।





सुनवाई महत्वपूर्ण (farmer's protest news)





प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा आज की जाने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक निर्धारित है। शीर्ष न्यायालय को केंद्र सरकार ने पिछली तारीख पर बताया था कि उसके और किसान संगठनों के बीच सभी मुद्दों पर 'स्वस्थ चर्चा' जारी है और इस बात की संभावना है कि दोनों पक्ष निकट भविष्य में किसी समाधान (farmer's protest news)पर पहुंच जाएं।





पिछली सुनवाई की गई थी स्थगित





अदालत ने तब सरकार को भरोसा दिया था कि अगर वह उससे कहेगी कि बातचीत के जरिये समाधान संभव है तो वह 11 जनवरी को सुनवाई नहीं करेगी। अदालत ने कहा था कि हम स्थिति को समझते हैं और चर्चा को बढ़ावा देते हैं। हम सोमवार (11 जनवरी) को मामला स्थगित कर सकते हैं अगर आप जारी वार्ता प्रक्रिया की वजह से ऐसा अनुरोध करेंगे तो।





आठवें दौर की बातचीत में नहीं निकला हल





आठवें दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि किसान नेताओं ने कानून को निरस्त करने की अपनी मांग का कोई विकल्प नहीं सुझाया। किसानों की एक संस्था ‘कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स असोसिएशन’ (सीआईएफए) ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया और मामले में पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध किया।





उसने कहा कि कानून किसानों के लिए 'फायदेमंद' हैं और इनसे कृषि में विकास और वृद्धि आएगी। उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले तीनों विवादित कृषि कानूनों को लेकर दायर कई याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा था।


कृषि कानून पर सरकार ने रखा पक्ष, जानिए 10 अहम बातें

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कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में किसानों का आंदोलन जारी है। 14 दिन से आंदोलनरत किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई पांच दौर की बैठक बेनतीजा रही। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद भी सरकार किसानों को मना पाने में असमर्थ रही। इसे लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस की।





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कृषि मंत्री ने बतायी 10 अहम बातें-





  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस कानून में ऐसे प्रावधान हैं कि बिना जोखिम उठाए पैसे मिलें। किसान की जमीन को पूरी तरह से सुरक्षित रखने का प्रबंध किया गया है। अगर विवाद होता है तो एसडीएम 30 दिन के भीतर उसका निराकरण करेगा।
  • पहले यूरिया की काफी किल्लत होती थी। जब किसानों को जरूरत होती थी तो मुख्यमंत्री दिल्ली आ जाते थे। कई बार यूरिया लूटने की घटनाएं भी हुईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरिया की पूर्ति नियमित की। 
  • कृषि कानूनों पर कांट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर किसानों में डर है। कृषि मंत्री ने कहा कि समझौता किसान की फसल का होगा। किसान की जमीन, पट्टा या लीज पर नहीं ली जा सकेगी। फसल तैयार करने के दौरान कोई खेत पर कोई ढांचा बनाने की जरूरत पड़ी तो बाद में ये ढांचा हटाना पड़ेगा। पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में कांट्रैक्ट फार्मिंग पहले से ही हो रही है। 
  • कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि हम बार-बार एमएसपी के बारे में किसानों को आश्वासन दे चुके हैं, लेकिन अब भी किसानों को कोई शंका है तो मोदी सरकार एमएसपी पर लिखकर देने को तैयार है।
    किसानों को डर है कि इन कानूनों से एपीएमसी की मंडियां खत्म हो जाएंगी। किसान प्राइवेट मंडी के चंगुल में फंस जाएगा। राज्य सरकार प्राइवेट मंडियों का पंजीकरण कर सकें ऐसी व्यवस्था की जाएगी।
  • कृषि कानून में प्रावधान है कि पैन कार्ड से व्यापारी खरीदारी कर सकता है, लेकिन किसानों को लगता था कि कोई भी पैन कार्ड के जरिए खरीदकर भाग जाएगा। इस आशंका के समाधान के लिए राज्य सरकार को शक्ति दी जाएगी कि वह इस प्रकार की परिस्थिति में कोई भी नियम बना सकती है। 
  • कृषि मंत्री ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग ने 2006 में एमएसपी को डेढ़ गुना करने की बात कही थी, हमने उसे भी पूरा करने की कोशिश की। अधिक उम्र के किसानों के लिए भी केंद्र सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। किसानों की सामाजिक सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है। नया कानून नए मौके और नई टेक्नोलॉजी लेकर आएगा। 
  • तोमर ने कहा कि जब तक कृषि और कृषक और गांव दोनों आत्मनिर्भर नहीं होंगे तब तक कृषि क्षेत्र का उत्थान नहीं हो सकता। फसलों की खरीदी पिछले वर्ष की तुलना में अधिक हुई। हमारी कोशिश है कि ऐसी संरचनाओं का निर्माण किया जाए जिससे किसानों को फायदा हो। हर्बल पार्क, मधुमक्खी पालन के लिए लोन उपलब्ध कराया जाए। 
  • कृषि मंत्री ने कहा कि उपज बेचने के बाद किसान को उसकी कीमत मिलने का प्रावधान हो जाएगा, लेकिन इस कानून में यह प्रावधान सुनिश्चित किया गया है। हमें लगता है कि लोग इसका फायदा उठाएंगे, किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होंगे, बुवाई के समय उसे मूल्य की गारंटी मिल जाएगी। किसान की भूमि को पूरी सुरक्षा देने का प्रबंध किया गया है।  
  • आरोप लग रहे थे कि कृषि कानून अवैध हैं क्योंकि कृषि राज्य का विषय है और केंद्र सरकार ये नियम नहीं बना सकती है। इस बारे में तोमर ने स्पष्ट किया कि केंद्र के पास व्यापार पर कानून बनाने का अधिकार है।





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