Responsive Ad Slot


 

Showing posts with label Ramlila staged in Mahasamund. Show all posts
Showing posts with label Ramlila staged in Mahasamund. Show all posts

96 सालों से लाफिनकला में हर साल हो रहा रामलीला का मंचन

No comments Document Thumbnail

महासमुंद। जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर ग्राम लाफिनकला में बीते 96 वर्ष से रामलीला का मंचन किया जा रहा है। दशहरा के अवसर पर बाल समाज के उत्साही युवाओं ने इस वर्ष भी रामलीला का आयोजन किया।लीला मंडली संचालक रामजी साहू बताते हैं कि बदलते परिवेश में अब लीला मंचन करना बहुत मुश्किल हो रहा है। लीला में भाग लेने वाले पात्र नहीं मिलते हैं। बावजूद इस सांस्कृतिक उत्सव को संरक्षित करने भरसक प्रयास किया जा रहा है। गांव की इसी परंपरा और संस्कृति को बचाए रखने के लिए हर वर्ष रामलीला का आयोजन किया जाता है। 

पहले तीन से नौ दिन तक राम व कृष्ण लीला का मंचन होता था। साथ ही श्रवण कुमार, सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र, मोरध्वज, चरणदास चोर, मयारू भौजी, सती नाग चंपा, जैसे धार्मिक व सामाजिक नाटक के माध्यम से समाज को शिक्षा देने का प्रयास भी किया जाता था। तब मनोरंजन का कोई साधन नहीं था, इससे लोग रात-रात भर नाटक- लीला देखा करते थे। आज की युवा पीढ़ी प्राचीन परंपरा संस्कृति से विमुख हो रहे हैं।

संस्कृति को बचाने रामलीला का आयोजन 

गांव के उत्साही युवा गोवर्धन साहू व महेन्द्र पटेल बताते हैं कि गाॅव मे 96 वर्षों से चली आ रही परंपरा और संस्कृति को बचाए रखने हर वर्ष रामलीला का आयोजन व मंचन करते हैं। इससे खासकर महिलाओं में सामाजिक चेतना का विकास हुआ है। लीला के माध्यम से नैतिक शिक्षा दी जाती है।

 एक ही परिवार के दस कलाकारों ने लिया भाग

 गांव की चली आ रही परंपरा और नाटक-लीला संस्कृति को बचाए रखने के लिए इस साल एक ही परिवार के दस लोगों ने लीला मंचन में भाग लिया। जिसमें महेन्द्र पटेल,नेतन पटेल, राहुल पटेल, भूजल पटेल, उज्जवल पटेल, साक्षी पटेल, यशस्वी पटेल, भूमि पटेल,रुचि पटेल, हिमांशी पटेल एक ही परिवार के सदस्य हैं। इनकी बड़ी संख्या में सहभागिता चर्चा का विषय रहा।

बालिकाओं ने भी लिया बढ़-चढ़कर हिस्सा 

लीला मंडली संचालक रामजी साहू बताते हैं कि इस वर्ष पुरुष पात्र नहीं मिलने के कारण गांव की प्राचीन परंपरा व संस्कृति को बचाए रखने पहली बार बालिकाओं का सहयोग लिया गया। जिसमें बालिकाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। गांव के बुजुर्गों ने  इस परंपरा व संस्कृति की शुरुआत की थी ।जिसे बचाएं रखना युवाओं और नई पीढ़ी की जिम्मेदारी है।

मंडली को सहेजने में इन बुजुर्गों का रहा विशेष योगदान 

 सियाराम साहू,  जीवन साहू, जगदेव साहू, उत्तम साहू, ओनूराम साहू,लीलाराम साहू, सुखेन्द पटेल ने लीला मंडली की शुरुआत किया। जिसे जगदीश साहू, सुकदेव साहू, अनूप राम साहू, मंगतू साहू पुरानी पीढ़ी को नई पीढ़ी से जोड़ कर रखा है।

कार्यक्रम के आयोजन में इनकी अहम भूमिका

रामजी साहू, गोवर्धन साहू ,महेन्द्र पटेल, जनक राम साहू ,संतराम साहू, जीवराखन साहू, रामलाल साहू,टीका पटेल, पंचराम साहू, हरिराम साहू,नेतन पटेल, नाथूराम साहू,विजय साहू,धर्मेन्द्र साहू, रोहित  साहू,पुरानिक साहू,राधेश्याम साहू, दरबारी निषाद सहित बच्चों की विशेष सहभागिता रही।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.