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Chandrayaan-3: सूरज से जगेगी उम्मीद की किरण या सोता रह जाएगा विक्रम? पढ़े पूरी खबर

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Chandrayaan-3 : चांद पर सुबह होने को है। इधर, पृथ्वी पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के जागने का इंतजार और प्रार्थनाएं जारी हैं। ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों  का मानना है कि अगर विक्रम और प्रज्ञान दोबारा तैयार हो जाते हैं, तो यह बोनस होगा। 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से रवाना हुए चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त को चांद पर सफल लैंडिंग कर ली थी।


ISRO के वैज्ञानिक गुरुवार के बाद शुक्रवार को भी मॉड्यूल की ‘रिबूट’ करने की प्रक्रिया कर रहे हैं। भारतीय स्पेस एजेंसी को उम्मीद है कि शिव शक्ति पॉइंट पर सूर्योदय होते ही उपकरण दोबारा काम करने के लिए तैयार हो सकते हैं। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के बाद विक्रम और प्रज्ञान, जिस जगह पार्क किए गए हैं उसे शिव शक्ति पॉइंट नाम दिया गया है।

ISRO के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा था कि उपकरणों को दोबारा शुरू करने की कोशइश 21 और 22 सितंबर को की जाएगी। उन्होंने बताया था, ‘हम केवल उम्मीद कर सकते हैं कि 22 सितंबर को उपकरण दोबारा तैयार हो जाएंगे।’

बेहद जरूरी है सूर्य की स्थिति

खास बात है कि चांद पर सूर्योदय बुधवार को ही हो चुका है, लेकिन विक्रम और प्रज्ञान को जागने के लिए सूर्य के सही एंगल की जरूरत है। अखबार से बातचीत में यूआर राव सैटेलाइल सेंटर के निदेशक एम शंकरन बताते हैं, ‘सिस्टम के काम करने के लिए अच्छा एंगल 6 डिग्री से 9 डिग्री के बीच होगा। तापमान को भी एक सीमा से ज्यादा होना होगा।’

उन्होंने बताया, ‘जागने के लिए हमें विक्रम और प्रज्ञान पर पावर तैयार करने की प्रक्रिया और तापमान की जरूरत है। हमें 21 या 22 सितंबर को कुछ जानकारी मिल सकती है। अगर वे जाग जाते हैं, तो इस दौरान जागेंगे।’

मिशन हो चुका है पूरा

खास बात है कि अगर विक्रम और प्रज्ञान जागने में सफल हो जाते हैं, तो यह बड़ी सफलता होगी। हालांकि, अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो भी इसरो के चंद्रयान-3 मिशन को सफल माना जाएगा।

श्रीहरिकोटा से PSLV रॉकेट से सात उपग्रहों का हुआ प्रक्षेपण

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C56) लॉन्च कर दिया है. प्रक्षेपण पहले लॉन्च पैड से सुबह 6:30 बजे निर्धारित था और समय पर ही इसे प्रक्षेपित किया गया.


पीएसएलवी-सी56 मिशन का प्राथमिक पेलोड डीएस-एसएआर उपग्रह है, जो एक सिंथेटिक-एपर्चर रडार (एसएआर) है जो वस्तुओं की दो डायमेंशन इमेज या तीन डायमेंशन इमेज बनाता है.

इसरो का यह पूरी तरह व्यावसायिक मिशन है, जिसे न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड संचालित कर रहा है। इसके लिए शनिवार को उलटी गिनती शुरू हुई थी। इसरो ने बताया कि 360 किलो वजनी डीएस-सार उपग्रह सिंगापुर सरकार की प्रतिनिधि एजेंसी डीएसटीए और सिंगापुर की कंपनी एसटी इंजीनियरिंग के साथ विकसित किया गया है।

सातों उपग्रहों के बारे में जानें

डीएस-सार: सिंगापुर का यह उपग्रह सिंथेटिक अपर्चर रडार (सार) उपकरण से युक्त है जिसे इस्राइल की अंतरिक्ष तकनीक क्षेत्र की कंपनियों ने बनाया है। यह उपग्रह हर मौसम व रात में भी काम करते हुए धरती की 1 मीटर सतह तक का डाटा उपलब्ध करवाएगा।
वेलॉक्स-एएम: 23 किलो का यह माइक्रो उपग्रह तकनीक प्रदर्शन के लिए भेजा रहा है। आर्केड एटमॉस्फियर कपलिंग व डायनेमिक एक्सप्लोरर : यह एक प्रायोगिक उपग्रह है।
स्कूब-2: यह 3यू नैनो सैटेलाइट एक तकनीक प्रदर्शक उपकरण से युक्त है।
ग्लासिया-2: यह भी 3यू नैनो सैटेलाइट है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा करेगा।
ओआरबी-12 स्ट्राइडर: यह उपग्रह अंतरराष्ट्रीय सहयोग से बना है।

यह हाई रिजॉल्यूशन वाली सिंगापुर सरकार को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का आकलन करने, भूमि उपयोग की निगरानी करने, वनों की कटाई को ट्रैक करने और सुरक्षा और रक्षा कार्यों का समर्थन करने की अनुमति देगी. वाणिज्यिक ग्राहक उपग्रह का उपयोग तेल और गैस अन्वेषण, कृषि निगरानी और बुनियादी ढांचे के मूल्यांकन जैसे उद्देश्यों के लिए कर सकते हैं.

PSLV-C56 मिशन न केवल अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की शक्ति को दिखाता है, बल्कि अंतरिक्ष अनुसंधान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी मजबूत करता है.

 

Chandrayaan-3: दुनिया मानी भारत की ताकत, NASA, यूरोप, ब्रिटेन ने दी बधाई

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 Chandrayaan-3 : भारत की चंद्रयान-3 को शुक्रवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। चांद पर जाने में भारत की बड़ी सफलता की पूरी दुनिया तारीफ कर रही है. चंद्रयान-3 करीब 42 दिन की यात्रा के बाद 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इसरो की इस सफल अंतरिक्ष उड़ान के लिए कई देशों ने भारत को बधाई संदेश भेजे हैं। इन देशों में जापान, ब्रिटेन, यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसियों ने भारत को इस सफलता के लिए बधाई दी है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भी भारत के लिए बधाई संदेश जारी किया है.


यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग के लिए इसरो को बधाई दी है. जापान और ब्रिटेन की अंतरिक्ष एजेंसियों ने भी भारत के चंद्र मिशन की सराहना की. जापान की अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट में लिखा, ‘चंद्रयान के सफल प्रक्षेपण पर भारत को बधाई।’ वहीं, ब्रिटेन की अंतरिक्ष एजेंसी यूके स्पेस एजेंसी ने भारत को बधाई देते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘मंजिल-चांद को बधाई…। चंद्रयान के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो.

ब्रिटेन की अंतरिक्ष एजेंसी ने इसरो के प्रक्षेपण की सराहना की

टेक्नोलॉजी के मामले में चीन भारत से आगे है. इसके साथ ही भारत की सफलताओं का हमेशा मजाक उड़ाने वाले चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक ट्वीट में चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण पर भारत को बधाई दी है. चीन के एक प्रमुख अखबार ने लिखा, ‘बधाई हो! भारत ने शुक्रवार को अपने चंद्र मिशन चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक कक्षा में लॉन्च किया। अंतरिक्ष यान के अगस्त में चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। अगर भारत इस प्रयास में सफल हो जाता है तो वह चंद्रमा पर नियंत्रित लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।

नासा प्रमुख ने इसरो को बधाई दी

भारत द्वारा अपना तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च करने पर नासा प्रमुख ने इसरो को बधाई दी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख ने मिशन से निकलने वाले वैज्ञानिक निष्कर्षों की आशा व्यक्त की और संयुक्त राज्य अमेरिका के परिणाम में रुचि व्यक्त की। नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के प्रमुख बिल नेल्सन ने ट्वीट किया, “चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई, चंद्रमा की सुरक्षित यात्रा करें। हम मिशन के वैज्ञानिक परिणामों की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिसमें नासा का लेजर रेट्रोरेफ्लेक्टर ऐरे भी शामिल है। भारत आर्टेमिस संधि पर नेतृत्व का प्रदर्शन कर रहा है।

Chandrayaan-3 : श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 लॉन्‍च हुआ, देखें VIDEO

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नई दिल्ली: भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 आज लॉन्च हो गया. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन सेंटर से दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर छोड़ा गया. चांद तक पहुंचने में चंद्रयान-3 को डेढ़ महीने से ज्यादा का समय लगेगा. चंद्रयान-3 का मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है. चंद्रयान-3 का मकसद क्या? चंद्रयान-3 का भी वही मकसद है, जो चंद्रयान-2 का था. 


यानी, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना. इसरो के इस तीसरे मून मिशन की लागत करीब 615 करोड़ रुपये बताई जा रही है. इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 के तीन मकसद हैं. पहला- विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना. दूसरा- प्रज्ञान रोवर को चांद की सतह पर चलाकर दिखाना. और तीसरा- वैज्ञानिक परीक्षण करना.

देखें LIVE VIDEO



Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग के लिए आज शुरू होगी उल्टी गिनती, ISRO की टीम ने तिरुपति मंदिर में की पूजा

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Chandrayaan-3 : 14 जुलाई को इसरो चंद्रयान-3 को लॉन्च करने जा रहा है. वहीं, इससे पहले इसरो वैज्ञानिकों की एक टीम चंद्रयान-3 के लघु मॉडल के साथ पूजा-अर्चना करने के लिए तिरुपति वेंकटचलपति मंदिर पहुंची. चंद्रयान-3 की उलटी गिनती आज से शुरू हो रही है. 26 घंटे की उल्टी गिनती दोपहर 1:05 बजे शुरू होगी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन कल दोपहर 2:35 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से LVM3 रॉकेट द्वारा चंद्रयान-3 लॉन्च करेगा.


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ISRO ने फिर से रचा इतिहास, एक साथ लॉन्च किए 36 सैटेलाइट

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श्रीहरिकोटा:  ISRO ब्रिटेन के 36 सैटेलाइट एकसाथ लॉन्च कर दिए हैं। स्पेस में भेजे जा रहे सभी सैटेलाइट का कुल वजन 5805 किलोग्राम है। इस मिशन को वनवेब इंडिया-2 नाम दिया गया है। ये लॉन्चिंग सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट से हुई है। इसमें ISRO के 43.5 मीटर लंबे LVM3 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है। यह लॉन्च पैड चंद्रयान-2 मिशन समेत अब तक पांच सफल लॉन्चिंग कर चुका है और आज इसकी छठी उड़ान है।


स्पेस आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस में मिलेगी मदद

बता दें कि वनवेब के लिए ISRO की कमर्शियल यूनिट न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड NSIL का ये दूसरा मिशन है। वनवेब UK की संचार कंपनी है, इसमें ब्रिटिश सरकार, भारत की भारती इंटरप्राइजेज, फ्रांस की यूटेलसैट, जापान का सॉफ्टबैंक, अमेरिका के ह्यूज्स नेटवर्क्स और दक्षिण कोरियाई डिफेंस कंपनी हनव्हा की हिस्सेदारी है। ये सैटेलाइट आधारित सेवा मुहैया कराने वाली संचार कंपनी है। आज की सफल लॉन्चिंग से दुनिया के हर कोने में स्पेस आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस मुहैया कराने की योजना में मदद मिलेगी।

2022 में हुई थी वनवेब के पहले बैच की लॉन्चिंग

LVM3-M3 इसरो का भारी लिफ्ट रॉकेट है। वनवेब के पास अब कक्षा में 582 सैटेलाइट हैं। 26 मार्च को इनकी कुल संख्या 618 तक जाने की उम्मीद है। कंपनी ने कहा था कि ग्रुप को पूरा करके, वनवेब भारत सहित वैश्विक कवरेज प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। ये लॉन्च वनवेब के लिए 18वां लॉन्च है। 36 सैटेलाइट का पहला बैच 23 अक्टूबर, 2022 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट से एलवीएम3 रॉकेट के साथ लॉन्च किया गया था, जिसे पहले जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एमके3 (जीएसएलवी एमके3) के नाम से जाना जाता था।

72 सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए ISRO के साथ करार

ब्रिटेन की नेटवर्क एक्सेस एसोसिएट्स लिमिटेड (वनवेब ग्रुप कंपनी) ने पृथ्वी की निचली कक्षा में 72 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड से एक करार किया है। वनवेब के अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल ने पिछले अक्टूबर में कहा था कि इसरो की वाणिज्यिक शाखा, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के लॉन्च शुल्क के लिए दो चरणों में 72 सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए वनवेब के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।

 

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