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विश्व पर्यटन दिवस विशेष : राष्ट्रीय स्मारक भांडदेवल को विश्व धरोहर में शामिल करने उठी मांग

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 आरंग। मंदिरों की नगरी के नाम से प्रख्यात आरंग प्राचीन मंदिरों और पुरा इतिहास को अपने में समेटे हुए हैं।यहां भांडदेवल के नाम से विख्यात प्राचीन मंदिर जैन धर्म को समर्पित है। इस मंदिर के संबंध में ऐसी मान्यता है कि यहां भाई-बहन एक साथ नहीं जाते हैं। खंडित हो चुके इस मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपने संरक्षण में रखा है। यहां पूजा-अर्चना नहीं होती है। अलबत्ता दूर-दूर से लोग इसकी स्थापत्य कला और नक्काशी को देखने आते हैं।


जानकारों के अनुसार भांड का अर्थ बर्तन व देवल का अर्थ मंदिर है। इन दोनों शब्दों से मिलकर बना है भांडदेवल। वहीं कुछ इतिहासकार भांड का अर्थ भठा हुआ भी बताते हैं। यह नगर का सबसे बड़ा और प्राचीन मंदिर है। पत्थरों से निर्मित यह मंदिर की अदभुत स्थापत्य कला पर्यटकों का बरबस ही मन मोह लेती है।

मूर्तियों का आकर्षण पर्यटकों को करता है आकर्षित

भांडदेवल मंदिर के गर्भगृह में तीन तीर्थंकरो की कार्योत्सर्ग मुद्रा वाली सुंदर प्रतिमाएं अधिष्ठित हैं। काले पत्थरों से निर्मित आदमकद इन मूर्तियों का आकर्षण पर्यटकों को आकर्षित करता है। पश्चिमोन्मुखी यह मंदिर ऊंची जगती पर निर्मित है। इसके आधार विन्यास में पंचस्थाकार है । नागर शैली में निर्मित इस मंदिर के मंडप एवं मुखमंडप का आधार से ऊपर का भाग विनष्ट हो चुका है। मंदिर की बाह्य भित्ति अधिष्ठान से लेकर आमलक तक की उरुश्रृंगों व कुलिकाओं से अलंकृत है। जिनमें जैन तीर्थकरों, यक्ष यक्षिणी व देव प्रतिमाओं के अतिरिक्त अलिंगनरत मिथुन मूर्तियों का उत्कीर्ण किया गया है। संभवतः यही कारण है कि भाई-बहन इस मंदिर में प्राचीन काल से ही साथ-साथ प्रवेश नहीं करते हैं। अधिष्ठान भाग की सज्जा पांच पट्टिकाओं से की गई है। जो गजावली, अश्वावली ,हंशावली ,नृत्य संगीत के दृश्य कीर्ति मुक्त एवं ज्यामिति अभिप्राय के अंकनों से युक्त हैं।

विश्व धरोहर में शामिल करने की प्रतीक्षा

कला की दृष्टि से इस मंदिर को दसवीं ग्यारहवीं शती ई. में हैह्यवंशीय शासकों के राज्यकाल में निर्मित माना जाता है। छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक पटल पर अद्वितीय स्थान रखने वाले आरंग के भांडदेवल मंदिर के समरूप जैन मंदिर समूचे राज्य में अन्यत्र नही है।

पुरा नगरी के नाम से विख्यात आरंग में स्थित यह जैन मंदिर आज भी विश्व धरोहर का हिस्सा बनने का इंतजार कर रहा है। उल्लेखनीय है कि आरंग नगर राजिम व सिरपुर जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के मध्य में स्थित है। यह नगर न केवल मंदिर के लिए अपितु अन्य विपुल पुरासम्पदाओं से परिपूर्ण है। यहां 107 शिवलिंग होने की किवदंती भी प्रचलित है।
विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर नगर के स्वयंसेवी सामाजिक संगठन पीपला वेलफेयर फाउंडेशन के सदस्यों ने भांडदेवल मंदिर को विश्व धरोहर घोषित करने की मांग की है। जिससे नगर को पर्यटन स्थल का दर्जा मिल सके और पर्यटन को बढ़ावा मिले। इससे पुरा नगरी आरंग की ख्याति में और भी चार चांद लगेगा।

विश्व पर्यटन दिवस पर “सेंट्रल इंडिया कनेक्ट मार्केट प्लेस-2024” का आयोजन, आज रात CM करेंगे शिरकत

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर "सेंट्रल इंडिया कनेक्ट मार्केट प्लेस-2024” का शुभारंभ करेंगे। यह आयोजन छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड एवं छत्तीसगढ़ ट्रैवल ट्रेड एसोसिएशन (सीजीटीटीए) के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। यह आयोजन नवा रायपुर स्थित होटल मेफेयर में दोपहर 2 बजे से प्रारंभ होगा। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य में पर्यटन उद्योग की नई संभावनाओं और निवेश के अवसरों पर विशेषज्ञों द्वारा विचार-विमर्श किया जाएगा। इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही विभिन्न पर्यटन स्टॉल्स और प्रदर्शनियाँ लगाई जाएगी।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल, संस्कृति एवं पर्यटन संभावनाओं को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है। विश्व पर्यटन दिवस-2024 का थीम पर्यटन और शांति है। कार्यक्रम के दौरान राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार, ब्रांडिंग एवं जागरूकता गतिविधियां आयोजित की जाएगी। छत्तीसगढ़ पर्यटन की समृद्ध विरासत, प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को नए आयाम देने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसके आयोजन से राज्य के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास को बल मिलेगा।

कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य में पर्यटन की नई संभावनाओं और निवेश के अवसरों पर विशेष सत्र आयोजित होंगे। उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ, व्यवसायी एवं निवेशक इस अवसर पर अपनी राय साझा करेंगे और पर्यटन क्षेत्र के विकास पर विचार-विमर्श करेंगे। 

छत्तीसगढ़ के पर्यटन को वैश्विक मंच पर मजबूती 

छत्तीसगढ़ के पर्यटन को वैश्विक मंच पर मजबूती प्रदान करने के लिए इस आयोजन में पर्यटन से जुड़े कई प्रतिष्ठित लोग एवं संस्थान हिस्सा लेंगे। इसके अतिरिक्त इस आयोजन में छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और अद्वितीय पर्यटन स्थलों की ब्रांडिंग पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। इससे न केवल राज्य के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी छत्तीसगढ़ के पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ ट्रैवल ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष, पर्यटन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और राज्य के विभिन्न हिस्सों से जुड़े पर्यटन प्रतिनिधि शामिल होंगे। मुख्यमंत्री निवास कार्यालय से जारी प्रोटोकॉल के अनुसार मुख्यमंत्री श्री साय अपने व्यस्ततम कार्यक्रम के बीच रात आठ बजे इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। वे साढ़े आठ बजे से साढ़े 9 बजे तक होटल मेफेयर में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। 

मुख्यमंत्री ने विश्व पर्यटन दिवस की दी शुभकामनाएं

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। श्री साय ने अपने बधाई संदेश में कहा है कि पर्यटन के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व पर्यटन दिवस का आयोजन किया जाता है। 

श्री साय ने कहा है कि छत्तीसगढ़ पर्यटन की संभावनाओं से परिपूर्ण राज्य है। यहां के अनेक स्थल हमारी प्राचीन पौराणिक और सांस्कृतिक विरासत से जुड़े हुए हैं। यहां प्राकृतिक सौंदर्य के मनोरम स्थलों के साथ धार्मिक और पौराणिक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के कई स्थान हैं। नदियां, झरने, जल प्रपात, सघन वनों से आच्छादित प्राकृतिक पर्यटन स्थल बरबस ही पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। राज्य सरकार इन स्थानों को विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। 

मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्राचीन दंडकारण्य वन और माता कौशल्या की जन्म-स्थली हमारे गौरव हैं। इंद्रावती नदी पर चित्रकोट जलप्रपात, सिरपुर का प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर और बस्तर का दशहरा पूरे देश में प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि छत्तीसगढ़ के रामगढ़ की पहाड़ियों में महाकवि कालीदास ने मेघदूत की रचना की है। यहां सबसे प्राचीन नाट्यशाला है। श्री साय ने कहा है कि छत्तीसगढ़ का पर्यटन परिदृश्य एवं सांस्कृतिक परंपरा अनोखी है। छत्तीसगढ़ के पौराणिक महत्व और उसकी खूबसूरती से देश-दुनिया का परिचय कराने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है।


पर्यटन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को 27 सितम्बर को मिलेगा राष्ट्रीय सम्मान

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रायपुर। विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी उपलब्धि हासिल होने जा रही है। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित द बेस्ट टूरिज्म विलेज कम्पटिशन 2024 के तहत बस्तर जिले के ढूढमारस और चित्रकोट गांवों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा। बस्तर के ढूढमारस गांव को एडवेंचर टूरिज्म के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन तथा चित्रकोट को सामुदायिक आधारित पर्यटन में  उत्कृष्ट कार्य के लिए यह सम्मान मिलेगा। यह सम्मान 27 सितंबर को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित विश्व पर्यटन दिवस समारोह में प्रदान किया जाएगा।


प्रधानमंत्री मोदी के विजन पर आधारित छत्तीसगढ़ का पर्यटन विकास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि पर्यटन भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के साथ-साथ स्थानीय समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण का भी एक प्रभावी साधन है। उनका दृष्टिकोण है कि पर्यावरण संरक्षण के साथ स्थायी और समावेशी पर्यटन का विकास किया जाए, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले।

इस दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार ने भी ठोस कदम उठाए हैं। राज्य ने अपनी  वन संपदा,जनजातीय परंपराओं, और प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए इन क्षेत्रों में पर्यटन का विकास किया है। पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता को पर्यटन के माध्यम से वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का पर्यटन विकास का विजन

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ के पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा की है। धार्मिक पर्यटन के तहत, राज्य में पांच शक्तिपीठोंकृसूरजपुर का कुदरगढ़, चंद्रपुर का चंद्रहासिनी मंदिर, रतनपुर का महामाया मंदिर, डोंगरगढ़ का बम्लेश्वरी मंदिर और दंतेवाड़ा का दंतेश्वरी मंदिर का विकास किया जा रहा है। इसके अलावा, प्रदेश में इको टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म में राज्य सरकार का विशेष फ़ोकस है।

राज्य सरकार ने धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए ग्रांट बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को संरक्षित करते हुए इनके आयोजनों की तैयारी में तेजी आएगी। बस्तर दशहरा का आयोजन इस बार विशेष रूप से भव्य और विशाल होगा। यह पर्व न केवल स्थानीय संस्कृति को प्रदर्शित करेगा, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बनेगा।

मुख्यमंत्री साय ने कहा, हमारा उद्देश्य छत्तीसगढ़ को एक प्रमुख पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित करना है, जहाँ पर्यटकों को हमारे वन्य जीवन,जनजातीय धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव हो। उनके विजन के अनुसार, राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में वेलनेस टूरिज्म, कृषि पर्यटन, और एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अलावा, मनोरंजन पार्कों और सांस्कृतिक केंद्रों का विकास भी राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हो रहा है।

अमृत काल विजन डॉक्यूमेंट 2024 के  तहत मुख्यमंत्री ने राज्य की पर्यटन आकांक्षाओं को एक रूप देने की बात कही है। इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ को वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए व्यापक कार्य किया जा रहा है, जहाँ अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।

चित्रकोट और ढूढमारस की धरोहर

छत्तीसगढ़ के ये दोनों गांव, ढूढमारस और चित्रकोट, राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक संपदा के प्रतीक हैं। चित्रकोट का प्रसिद्ध जलप्रपात, जिसे भारत का नियाग्रा भी कहा जाता है, पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय आकर्षण है। वहीं, ढूढमारस गांव अपने एडवेंचर टूरिज्म के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ पर्यटक रोमांचक गतिविधियों का अनुभव कर सकते हैं।

इन दोनों गांवों का सम्मानित होना राज्य के पर्यटन क्षेत्र के लिए एक विशेष उपलब्धि है। यह न केवल छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं की पहचान को मजबूत करेगा, बल्कि राज्य के पर्यावरणीय पर्यटन को भी नया आयाम देगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ के जनता, अधिकारियों और स्थानीय समुदायों को बधाई दी। उन्होंने कहा, यह पुरस्कार हमारी सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरणीय संपदा की विजय है। हमारा लक्ष्य पर्यटन को राज्य की समृद्धि और विकास का प्रमुख साधन बनाना है।

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