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वन अधिकार मान्यता के क्रियान्वयन में देश में अव्वल छत्तीसगढ़

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में वन अधिकार मान्यता अधिनियम का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप प्रभावी और संवेदनशीलता के साथ क्रियान्वयन हो रहा है। इसके परिणाम स्वरूप राज्य में आदिवासी - वनवासियों सहित गरीब तथा कमजोर वर्ग के समस्त लोगों को काफी राहत मिली है, और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हुई है। आम जन के सरोकार के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं वन संरक्षण की दृष्टि से यह वन अधिकार मान्यता पत्र अत्यंत ही महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

छत्तीसगढ़ में वन अधिकार मान्यता पत्र के संदर्भ में कुल 5 लाख 17 हजार 096 हितग्राहियों को वन अधिकार पत्र प्रदाय किये गये है। व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र प्रदाय करने में छत्तीसगढ़ राज्य देश में प्रथम स्थान पर है। इसके अंतर्गत हितग्राहियों के समग्र विकास के लिए भूमि समतलीकरण, जल संसाधनों का विकास तथा क्लस्टर के माध्यम से हितग्राहियों को अधिकाधिक लाभ के उद्देश्य से अनेक योजनाओं के माध्यम से मदद पहुंचाई गई है। इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्हीं. श्रीनिवास राव से प्राप्त जानकारी के अनुसार इनमें हितग्राहियों को वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य की जनहितकारी योजनाओं जैसे निजी भूमि पर बाईबेक गारंटी के साथ मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना, फसल विविधता को प्रोत्साहित करने के लिये धान के बदले अन्य रोपण हेतु प्रोत्साहन राशि का प्रावधान आदि से भी जोड़ा जा रहा है।

इसके तहत भूमि विकास के फलस्वरूप प्रति हितग्राही कृषि उत्पादन बढ़ गया है और अनेक प्रकार के आय-मूलक फसलों (कैश क्रॉप) का उत्पादन भी उन क्षेत्रों में किया जा रहा है। जिसके कारण हितग्राहियों का आजीविका उन्नयन भी सुनिश्चित हुआ है। साथ ही साथ इससे वन सुरक्षा के प्रति जनता का सीधा सरोकार सामने आया है और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे है। इसी तरह राज्य में सामुदायिक वन अधिकार अंतर्गत कुल 46000 प्रकरणों को मान्यता प्रदान की गई है, जो कि पुनः देश में सर्वाधिक है। 

इसके अंतर्गत वनांचलों में निवासरत जन समुदाय को विभिन्न प्रकार के निस्तार संबंधी अधिकार जैसे गीण वन उत्पाद संबंधी अधिकार मछली व अन्य जल उत्पाद तथा चारागाह अधिकार विशेष पिछड़ी जाति एवं समुदायों, कृषकों को आवास अधिकार, सभी वन ग्रामों पुराने रहवास क्षेत्रों, असर्वेक्षित ग्राम आदि को राजस्व ग्राम में बदलने के अधिकार, आदि शामिल है। इसके अलावा वनांचल क्षेत्र में पाये जाने वाले लघु वनोपज संग्रहण के लिये 67 प्रजातियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है और इस वर्ष छ.ग. राज्य वन अधिकार मान्यता के प्रभावी क्रियान्वयन द्वारा देश का 73 प्रतिशत लघु वनोपज का संग्रहण करने में सफलता प्राप्त की है।

वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में कुल 4306 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्यता पत्र प्रदाय किये गये है। वन संसाधन अधिकार के प्रबंधन हेतु मान्यता प्रदान करने में छत्तीसगढ़ राज्य देश का प्रथम राज्य है, जहां व्यापक पैमाने पर वन वासियों के अधिकारों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुये वन अधिकार पत्र प्रदाय किये गये है। इस अधिकार के तहत ग्राम सभा को प्रदत्त मान्यता वाले वन क्षेत्रों के प्रबंधन का अधिकार दिया गया है। उक्त वनों के प्रबंधन हेतु प्रबंध योजना तैयार करने की कार्यवाही प्रगति पर है। जिसके लिये 19 जिलों के लगभग 2000 ग्रामों के हितधारकों को प्रबंध योजना तैयार कर कार्य आयोजना के साथ एकीकृत करते हुये प्रबंधन सुनिश्चित करना है।

प्रबंध योजना में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्यता वाले वन के प्रबंधन हेतु समस्त प्रकार के सर्वेक्षण करते हुये प्रबंधन के सभी आयाम प्रस्तावित है। यहां यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रत्येक ईकाई वन भूमि पर अधिक से अधिक लाभ के लिये किस प्रकार का रोपण अथवा संरक्षण संबंधी कार्य प्रस्तावित किया जा सकता है। फाउंडेशन फॉर ईकोलाजिकल सेक्युरिटी नामक स्वयं सेवी संस्था द्वारा राज्य के 19 जिलों के लगभग 700 ग्रामों में प्रसंस्करण एवं आय संसाधन में वृद्धि के लिये संभावनाओं की तलाश और उससे संबधित प्रशिक्षण दिया गया है।

इसी तरह प्रदान संस्था के द्वारा 05 जिलों के 36 गांवों में कृषि के उन्नत तकनीक एवं प्रसंस्करण के विभिन्न आयामों का प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही रिक्त स्थानों पर कार्य आयोजना के प्रावधानों को प्रबंध योजना में एकीकृत करते हुये स्थानीय प्रजातियों के लिये वृहद रोपण हेतु योजना तैयार की जा रही है। राज्य में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार अधिनियम अंतर्गत राज्य के 24 जिलों में लगभग 106 प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है, जिसमें कुल 5492 हितग्राही लाभान्वित हुये है।

छत्तीसगढ़ के महुआ की महक पहुंचने लगी देश-विदेश तक

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में संग्रहित फूड ग्रेड महुआ फूल को राज्य लघुवनोंपज संघ द्वारा विदेश में विपणन करने की महत्वपूर्ण योजना है। इसके माध्यम से महुआ फूल से अतिरिक्त लाभ मिलता है। उल्लेखनीय है कि राज्य में वर्ष 2023-24 में संग्रहित 694.94 क्विंटल फूड ग्रेड महुआ फूल में से 503.65 क्विंटल फूड ग्रेड महुआ फूल का संग्रहण केवल मनेन्द्रगढ़ वनमंडल द्वारा किया गया है। इस तरह वनमंडल मनेन्द्रगढ़ फूड ग्रेड महुआ फूल संग्रहण कार्य में छत्तीसगढ़ में इस वर्ष प्रथम रैंक पर रहा।
                   

छत्तीसगढ़ में महुआ फूल की अपनी गुणवत्ता और राज्य सरकार द्वारा दी जा रही नई तकनीक आदि की सुविधा से इसकी महक अब देश-विदेश तक पहुंचने लगी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य में वनवासियों को लघुवनोंपजों के संग्रहण से लेकर प्रसंस्करण आदि कार्यो से संग्राहकों को अधिक से अधिक लाभ दिलाने निरंतर प्रयास हो रहे है। इस कड़ी में फूड ग्रेड महुआ फूल का संग्रहण बहुत लाभदायी है।
                         

वनमंडलाधिकारी मनेन्द्रगढ़ से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला यूनियन मनेन्द्रगढ़ की प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति भौंता, बेलबहरा, घुटरा, कछौड़, केल्हारी, बेलगांव, जुनंवा एवं माड़ीसरई के अंतर्गत फूड ग्रेड महुआ फूल (कच्चा महुआ) का नेट के माध्यम से संग्रहण कराया गया। संग्राहकों से 10.00 रु. प्रति किलोग्राम की दर से 503.65 क्विंटल कच्चा महुआ फूल संग्रहित किया गया है। संग्रहण उपरांत महुआ फूल सोलर ड्रायर के माध्यम से सुखाया गया । महुआ फूल के संग्रहण पारिश्रमिक के रूप में संग्राहकों को 5 लाख 3 हजार 650 रूपए का भुगतान किया गया। सोलर ड्रायर में सुखाकर प्रसंस्करण के उपरांत कुल 99.60 क्विंटल (ए ग्रेड- 78.30 क्विंटल एवं बी ग्रेड-21.30 क्विंटल) फूड ग्रेड महुआ फूल प्राप्त हुआ।
                     

उक्त कच्चा महुआ फूल का प्रसंस्करण कार्य वन धन विकास केन्द्र जनकपुर एवं कठौतिया अंतर्गत स्व-सहायता समूह के 20-20 महिलाओं सदस्यों द्वारा संपन्न किया गया है। समूह की महिलाओं को माह अप्रैल से मई 2023 के मध्य 60 दिवस का रोजगार प्रदाय किया गया। महिलाओं को प्रतिदिन 200 रूपये की दर से पारिश्रमिक भुगतान किया गया है। प्रसंस्करण उपरांत प्राप्त महुआ फूल ए एवं बी ग्रेड का बोरा भर्ती उपरांत एक्वाफुड एंड फोल्ड स्टोरेज, बिलासपुर बायपास, रिंग रोड नंबर 03 विधानसभा रोड गिरौद रायपुर में सुरक्षित भंडारण कराया गया है ।

फूड ग्रेड महुआ फूल को सुखाने से 5 किलोग्राम महुआ फूल से 1 किलोग्राम सूखा महुआ फूल प्राप्त होता है। इस प्रकार सुखा महुआ का खरीदी दर 50 रूपए प्रति किलोग्राम प्राप्त हुआ जबकि बाजार में सूखा महुआ फूल की खरीदी दर 30 से 35 रूपए प्रति किलोग्राम था। इस तरह फूड ग्रेड महुआ फूल संग्रहण से हितग्राहियों को अतिरिक्त लाभ प्राप्त हुआ। साथ ही महुआ पेड़ों के नीचे नेट बांधकर महुआ फूल संग्रहण करने पर तेज गर्मी के मौसम मे एक-एक महुआ फूल एकत्र करने के मेहनत से संग्राहक बच गये। महुआ फूल का संग्रहण आसान हो गया। महुआ फूल को बेचने हेतु बाजार ले जाने की आवश्यकता नही पड़ी। वित्तीय वर्ष 2023-24 मे 123 महुआ हितग्राहियों के द्वारा 213 महुआ वृक्षों के नीचे नेट बांधकर फूड ग्रेड महुआ एकत्र किया गया।

फूड ग्रेड महुआ फूल के संग्रहण कार्य को ग्रामीणों द्वारा बहुत पसन्द किया जा रहा है और  आगामी वर्षों में अधिक संख्या में हितग्राही नेट के माध्यम से फूड ग्रेड महुआ फूल संग्रहण करने के लिए तैयार हुए है। हितग्राही इस कार्य के लिए काफी उत्साहित है। फूड ग्रेड महुआ संग्रहण के दौरान पेड़ों में नेट बांधने, संग्रहण, परिवहन, ड्रायर में सुखाने, बोरा भर्ती एवं जीरा निकालने के कार्य से स्व-सहायता समूहों को अतिरिक्त रोजगार प्राप्त हुआ।

छत्तीसगढ़ में अब तक एक चौथाई के करीब तेंदूपत्ता का हो चुका संग्रहण

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में चालू वर्ष 2023 के दौरान अब तक 3 लाख 19 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हो चुका है, जो लक्ष्य के एक चौथाई के करीब है। राज्य में चालू वर्ष के दौरान 16 लाख 72 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता के संग्रहण का लक्ष्य है। वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में वनवासियों द्वारा तेंदूपत्ता का संग्रहण कार्य निरंतर जारी है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही. श्रीनिवास राव ने बताया कि प्रदेश में तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य के सुचारू संचालन के लिए वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ के निर्देशानुसार सभी वनमण्डलों में पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं। राज्य में अब तक वन मण्डल दंतेवाड़ा और जगदलपुर में लक्ष्य के 80 प्रतिशत से अधिक तेंदूपत्ता का संग्रहण हो चुका है। इस संबंध में प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ अनिल राय से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में अब तक संग्रहित मात्रा में से वनमण्डल बीजापुर में 5 हजार 08 मानक बोरा तथा सुकमा में 45 हजार 797 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण शामिल है। इसी तरह वनमण्डल दंतेवाड़ा में 15 हजार 394 मानक बोरा, जगदलपुर में 15 हजार 204 मानक बोरा, दक्षिण कोण्डागांव में 13 हजार 404 मानक बोरा तथा केशकाल में 17 हजार 179 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हुआ है। वनमण्डल नारायणपुर में 7 हजार 230 मानक बोरा, पूर्व भानुप्रतापपुर में 367 मानक बोरा तथा कांकेर में 6 हजार 049 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हो चुका है।

इसी तरह वनमण्डल राजनांदगांव में 2 हजार 646 मानक बोरा, खैरागढ़ में 1 हजार 387 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हुआ है। वनमण्डल धमतरी में 5 हजार 453 मानक बोरा, गरियाबंद में 45 हजार 923 मानक बोरा, महासमुंद 35 हजार 833 मानक बोरा तथा बलौदाबाजार 7 हजार 136 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया है। वनमण्डल बिलासपुर में 295 मानक बोरा, जांजगीर-चांपा में 2 हजार 532 मानक बोरा, रायगढ़ में 20 हजार 148 मानक बोरा, धरमजयगढ़ में 31 हजार 378 मानक बोरा, कोरबा में 9 हजार 848 मानक बोरा तथा कटघोरा में 3 हजार 155 मानक बोरा का संग्रहण हुआ है। इसी तरह वनमण्डल जशपुर में 10 हजार 377 मानक बोरा और सरगुजा में 153 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हो चुका है।

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