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बरसते पानी में जलभराव का जायजा लेने निकले संसदीय सचिव

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महासमुन्द। बीती रात से लगातार हो रही बारिश से शहर तर बतर हो गया है। ग्राम खरोरा के पास मुख्य मार्ग पर पानी का बहाव होता रहा। बरसते पानी में संसदीय सचिव विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने शहर भ्रमण के दौरान मौके पर पहुंचकर पानी निकासी की व्यवस्था कराई गई। मिली जानकारी के अनुसार बीती रात से क्षेत्र में मूसलाधार बारिश का सिलसिला शुरू रहा। आज रविवार को भी सुबह से बारिश होती रही। संसदीय सचिव विधायक चंद्राकर बरसते पानी में शहर का भ्रमण किया और जलभराव का जायजा लिया। बाद इसके नगरपालिका की टीम को मौके पर बुलवाकर जल निकासी की व्यवस्था की गई।


पालिका की टीम के साथ शहर भ्रमण कर जल निकासी की व्यवस्था कराई

संसदीय सचिव चंद्राकर ने वार्ड एक वार्ड 14 में पहुंचकर नागरिकों की समस्याओं से अवगत हुए। वार्ड 14 निवासी पूजा साहू, गीतिका साहू रजनी औसर ने बताया कि बारिश से घरों में बरसात का पानी घुस गया। जिससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहाँ नागरिकों ने बताया कि यहाँ मलबा जमा होने से नाली जाम की भी स्थिति बनती है। जिस पर संसदीय सचिव चंद्राकर ने तत्काल नगरपालिका के सीएमओ को उचित कार्यवाही के निर्देश दिए। इसी तरह जिला मुख्यालय से ग्राम खरोरा में भी जलभराव की स्थिति रही। जहाँ मौके पर पहुंचकर संसदीय सचिव चंद्राकर ने जल निकासी की व्यवस्था कराई। इस दौरान नगरपालिका अध्यक्ष कृष्णा चंद्राकर, मंगेश टांकसाले, सोमेश दवे, देवव्रत चंद्राकर, आवेज खान, जब्बर चंद्राकर, गोलू मदनकार आदि मौजूद रहे।

 

गर्मी में लू से बचें, खूब पिएं पानी और खुद को हाइड्रेटेड रखें

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रायपुर। हमारी सेहत पर खान-पान और मौसम का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में शरीर को त्रिदोषात्मक यानि वात, पित्त और कफ दोष माना गया है जिनके सामान्य अवस्था में रहने से शरीर स्वस्थ रहता है तथा इनमें बदलाव होने से बीमारी होती है। शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि गर्मियों में लू लगने के साथ ही दूषित जल या भोजन से पेट से संबंधित अनेक रोग जैसे उल्टी, दस्त, डायरिया, पीलिया और टायफाइड होने की संभावना रहती है।



इसलिए बाजार में खुले में बिकने वाले पेय एवं खाद्य पदार्थों के सेवन में परहेज करना चाहिए गर्मियों के मौसम में गरम, खटाई, तीखा, नमकीन, तला-भुना, तेज मिर्च-मसालेदार, उड़द दाल, मैदा और बेसन से बने खाद्य पदार्थों, फास्ट-फूड, मांसाहार और शराब का सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए इनका परहेज करना चाहिए। इस मौसम में शारीरिक स्वच्छता आवश्यक है, इसलिए सुबह और शाम ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए।

डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में शरीर में पित्त दोष की अधिकता रहती है इसलिए व्यक्ति को पित्तशामक आहार और अनुशासित दिनचर्या का पालन करना चाहिए। चूंकि गर्मियों में सूर्य की तपिश बहुत ज्यादा होती है, फलस्वरूप लोगों में डिहाइड्रेशन, थकान, घबराहट और बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। शरीर में पानी एवं अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स मिनरल्स की मात्रा संतुलित रखने के लिए आयुर्वेद में हल्का, सुपाच्य, मधुर रस वाले स्वच्छ ठंडा या उबाले हुए तरल पेय पदार्थों के सेवन करने का निर्देश है।

गर्मियों में पीसा जीरा और नमक मिलाकर मठा यानि छाछ, दही की लस्सी, दूध, कच्चे आम का जलजीरा, नींबू की शिकंजी या शरबत, घर में बनी ठंडाई, गन्ने का रस, बेल का शरबत, नारियल पानी, मौसमी एवं ताजे फलों का रस इत्यादि पीना चाहिए। गर्मियों के समय भोजन में पुराने जौ, पुराने चांवल, खिचड़ी, मूंग की दाल, गेहूं की रोटी, सत्तू, रायता, सब्जियों में चौलाई, करेला, बथुआ, मुनगा, परवल, भिंडी, तरोई, पुदीना, टमाटर, खीरा, ककड़ी, अदरक, प्याज, आंवला का मुरब्बा इत्यादि को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा तरबूज, खरबूज, मौसंबी, संतरा, अनार, शहतूत, आंवला इत्यादि का प्रयोग हितकारी है।

 डॉ. शुक्ला ने बताया कि गर्मियों के मौसम में सूर्योदय से पहले पैदल चलना, हल्का व्यायाम, योगाभ्यास और तैराकी इत्यादि करना चाहिए। चूंकि इस मौसम में लू (तेज बुखार) लगने की ज्यादा संभावना रहती है, इसलिए यथासंभव ठंडी जगह पर रहना चाहिए तथा धूप में निकलने के पहले संतुलित और सुपाच्य भोजन तथा पर्याप्त पानी का सेवन जरूर करना चाहिए। गर्म लू से बचाव के लिए शरीर, सिर, कान आदि को सूती कपड़े से ढांक लें। सूर्य की तेज किरणों के कारण चेहरे और शरीर में सन-बर्न होने तथा त्वचा से संबंधित अन्य रोग होने का खतरा होता है।

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