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कांकेर जिले को मत्स्यपालन के लिए मिला बेस्ट इनलैंड डिस्ट्रिक्ट का राष्ट्रीय अवार्ड, मुख्यमंत्री साय ने दी बधाई

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 रायपुर : छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले को मत्स्यपालन के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट इनलैंड डिस्ट्रिक्ट अवार्ड मिला है। आज 21 नवंबर को विश्व मत्स्यपालन दिवस के अवसर पर केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी एवं पंचायतीराज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल एवं जॉर्ज कुरियन ने छत्तीसगढ़ के मत्स्यपालन विभाग के संचालक नारायण सिंह नाग, सहायक संचालक मत्स्यपालन कांकेर एस.एस. कंवर को नई दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित सुषमा स्वराज भवन में ट्राफी एवं प्रशस्ति पत्र भेंटकर सम्मानित किया। छत्तीसगढ़ राज्य को इससे पूर्व मत्स्यपालन के क्षेत्र में देश के बेस्ट इनलैंड स्टेट का अवार्ड मिल चुका है।


मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कांकेर को देश का बेस्ट इनलैंड डिस्ट्रिक्ट अवार्ड मिलने पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए कांकेर सहित राज्य के सभी मत्स्य कृषकों एवं मत्स्यपालन विभाग के अधिकारियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि छत्तीसगढ़ लैंडलॉक्ड प्रदेश होने के बावजूद भी मत्स्यपालन के क्षेत्र में देश में अग्रणी स्थान पर है। मछली बीज उत्पादन में छत्तीसगढ़ देश का आत्मनिर्भर राज्य है। यह राज्य के मत्स्य कृषकों की मेहनत का परिणाम है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में मछली पालन के लिए 2.032 लाख हेक्टेयर जल क्षेत्र है, जिनमें से 96 प्रतिशत में किसी न किसी रूप में मत्स्य पालन हो रहा है। राज्य में प्रतिवर्ष 546 करोड़ मत्स्य बीज तथा 7.30 लाख टन मत्स्य उत्पादन हो रहा है। यहां से पड़ोसी राज्यों को भी मत्स्य बीज का निर्यात होता है। राज्य मत्स्य बीज उत्पादन में देश में 6वें तथा मत्स्य उत्पादन में देश में 8 वें स्थान पर है। छत्तीसगढ़ राज्य के मत्स्य पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बैंक से ऋण की सुविधा प्रदान की जा रही है। पात्रतानुसार मत्स्य कृषकों को एक प्रतिशत से लेकर तीन प्रतिशत ब्याज पर अल्प अवधि ऋण भी दिया जा रहा है।

बदलता दंतेवाड़ाः नई तस्वीर : गौ धन से संवर रहा आदिवासी महिलाओं का जीवन

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दंतेवाड़ा। जिले में गोधन न्याय योजना शुरू होने के बाद से यहां गोबर का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। आज गोधन न्याय योजना हितग्राहियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव का बड़ा ज़रिया बन गया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य राज्य शासन द्वारा शुरू की गई गोधन न्याय योजना के परिणाम सामने आने लगे हैं। लोगों में पशुपालन के प्रति रूचि बढ़ने लगी है। इस योजना से स्व सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही किसानों में जैविक खेती का प्रचलन भी बढ़ रहा है। 



जिससे महिलाएं समूह द्वारा गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट खाद का निर्माण कर रही हैं। जिले के 108 गोठानों में महिला समूहों ने 14203 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद एवं 6839 सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया जा चुका है। इस प्रकार कुल 11289 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट और 6618 सुपर कम्पोस्ट खाद का विक्रय किया गया है। जिसमें 5558 हितग्राही लाभान्वित हुए है। जिले में गोधन न्याय योजना के तहत खरीदी की जा रही गोबर से विभिन्न उत्पाद बनाकर स्व-सहायता समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति न केवल मजबूत हो रही है बल्कि वे स्वावलंबी भी हो रही हैं।

गोबर कभी ग्रामीणों के लिए इस प्रकार आमदनी का माध्यम बनेगा इसकी कल्पना शायद किसी ने भी नहीं की होगी, लेकिन छत्तीसगढ़ की इस गोधन न्याय योजना ने यह सच कर दिखाया है। योजना से पशुपालकों, किसानों और समूह की महिलाओं के लिए अतिरिक्त आमदनी के रास्ते खुलने लगे हैं। कुछ समय पहले तक यहां की आदिवासी महिलाएं खेतों में काम करती नजर आती थी। इसके बावजूद घर की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय थी। लेकिन अब इन्हीं महिलाओं ने गाय के गोबर को अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को मजबूत करने का माध्यम बना लिया है। इससे ग्रामीणों का जीवन बेहतर हो रहा है। निश्चित रूप से यह महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में उठाया जा रहा कारगर कदम है।

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