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छोटे कद के ऊंचे विचार वाले जमुना लाल नहीं रहे, ग्रामीण पत्रकारिता में थी खास पहचान

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महासमुंद। जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर झलप निवासी जमुना लाल साहू (82) नहीं रहे। आज सुबह उन्होंने अपने निवास में अंतिम सांस ली। वे कुछ समय से अस्वस्थ थे। अंतिम संस्कार टूरीडीह मुक्तिधाम में किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गणमान्यजन और मीडिया जगत से जुड़े साथी उपस्थित थे। उनके ज्येष्ठ भतीजे मोहनलाल साहू ने मुखाग्नि दी। जमुनालाल की पहचान छोटे कद काठी और उच्च विचार के लिए खास तौर पर थी। 

बचपन से जमुना लाल साहू से जुड़े छत्तीसगढ़ी साहित्यकार बंधु राजेश्वर खरे बताते हैं कि उनका जन्म 10 मई 1940 को ग्राम टुरीडीह (झलप) में किसान परिवार में हुआ था। 1963-64 में उन्होंने मैट्रिक (11वीं) की परीक्षा उत्तीर्ण की । बाद नौकरी की तलाश में 1964 में रायपुर चले गए। जहां  8 दिन तक रायपुर में दफ्तरी की नौकरी की। नौकरी में नियमित करने उनसे 30 रुपये की रिश्वत मांगी गई। सिद्धांतवादी  जमुना लाल ने नौकरी छोड़ दी, रिश्वत नहीं दी। फिर उन्होंने रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से वैध विशारद की डिग्री प्राप्त की। स्वास्थ्यगत कारणों से उच्च शिक्षा समाप्त कर खुद की पान की दुकान खोल ली। वर्ष 1970-72 में विद्या वाचस्पति (साहित्य) की डिग्री स्वाध्यायी छात्र के रूप में उन्होंने हासिल की। 

1972 से 2004 तक 32 साल की पत्रकारिता

झलप में पान दुकान चलाते हुए वे वर्ष 1972 में पत्रकारिता से जुड़े। उन्होंने नवभारत और नईदुनिया समाचार पत्रों की एजेंसी लेकर ग्रामीण पत्रकारिता प्रारंभ किया। पाठकों की मांग पर उन्होंने अमृत संदेश, युगधर्म, देशबंधु के अलावा अनेक साप्ताहिक, मासिक पत्र-पत्रिकाओं की एजेंसी लेकर ग्रामीणों को पढ़ने-लिखने प्रेरित किया। ग्रामीण पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के  लिए 90 के दशक में देशबंधु पत्र समूह द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया। पत्रकारिता में बाजारवाद हावी होने और सैद्धान्तिक पत्रकारिता लगभग समाप्ति पर होने से व्यथित होकर मई 2004 में पत्रकारिता से खुद को अलग कर लिया। 

कद छोटा-सोच बड़ी, ऐसे थे जमुना लाल

महज तीन फुट कद काठी की वजह से वे क्षेत्र में खास पहचान रखते थे। कद भले ही छोटी थी, उनकी विचारधारा बहुत ऊंची थी। झलप क्षेत्र में पत्रकारिता का बीजारोपण उन्होंने किया। उन्हें क्षेत्र में लोग जमुना लाल पेपर वाला के नाम से जानते थे। जनसंघ विचारधारा से उनका खासा जुड़ाव रहा। वर्ष 1969-70 में रामसिंग सोनी के नेतृत्व में जनसंघ के विचारधारा को जन जन तक पहुचाने सक्रिय भगीदारी निभाई। तब उनकी अभिलाषा थी कि अटलजी जैसा व्यक्तित्व देश का नेतृत्व करें। छत्तीसगढ़ राज की परिकल्पना और छत्तीसगढ़ी विचारधारा उनके रग-रग में समाया था। जब 2000 में छत्तीसगढ़ पृथक राज्य बना तब उन्होंने सपना साकार होते देखकर खुशियां मनाई। अटल बिहारी वाजपेयी जी देश की बागडोर संभाले तो उन्होंने झलप में मिठाई बांटी। उनके परिवार में छोटे भाई छेदी लाल साहू, भतीजा व्याख्याता कामरौद मोहन साहू, साकेत साहू का भरा पूरा परिवार है। वे आजीवन अविवाहित रहे।

सम्मान समारोह की अभिलाषा रह गई अधूरी 

झलप के युवा पत्रकार नोहर साहू,  सुभाष पटेल बताते हैं कि उन्होंने झलप में जमुना लाल का सम्मान करने की योजना बनाई थी। कोविड-19 प्रोटोकॉल और परिस्थितिजन्य विषमताओं के चलते यह समारोह नहीं हो सका। जमुना लाल के देहावसान से युवा पत्रकारों का अरमान अधूरा रह गया।

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