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तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए ‘वेंडर लाइसेंसिंग’ पर कार्यशाला का आयोजन

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रायपुर। तंबाकू मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के अंतर्गत आज तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए वेंडर लाइसेंसिंग पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा द यूनियनसंस्था के सहयोग से राजधानी रायपुर के एक निजी होटल में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में लोगों में बढ़ते तम्बाकू सेवन और वेंडर लाइसेंसिंग की जरूरत पर विचार-विमर्श किया गया। तंबाकू नियंत्रण के प्रयासों को मजबूत करने के लिए कार्यशाला में जिला पंचायत बिलासपुर और रायगढ़ नगर निगम को सम्मानित किया गया।

बिलासपुर जिला पंचायत ने ग्राम सभा के एजेंडे में पहली बार तंबाकू मुक्त ग्राम पंचायत के विषय पर चर्चा को शामिल किया था। वहीं रायगढ़ नगर निगम ने रायगढ़ को तंबाकू मुक्त कार्यालय घोषित करने व कोटपा अधिनियम-2003 का क्रियान्वयन नगर निगम क्षेत्र में करने का आदेश जारी कर इस दिशा में सराहनीय पहल की है। कार्यशाला को संबोधित करते हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में कम्युनिटी मेडिसीन विभागाध्यक्ष डॉ. निर्मल वर्मा ने कहा कि तंबाकू का उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, यह तो सभी जानते हैं, लेकिन हमें इस क्षेत्र में दो कार्य करने हैं। पहला हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को तंबाकू की बुरी लत से बचाना है और दूसरा जिन्हें तंबाकू उत्पादों की लत लग गई है, उन्हें इस लत से मुक्ति दिलाना है।

उन्होंने बताया कि भारत में हर वर्ष दस लाख व्यक्तियों की मृत्यु तंबाकू उत्पादों के सेवन की वजह से हो जाती है। इसलिए हमें तंबाकू नियंत्रण की दिशा में विशेष कदम उठाने की जरूरत है। राज्य तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ की ओर से इसके लिए काफी प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए वेंडर लाइसेंसिंग प्रक्रिया लागू किए जाने की जरूरत बताई। इससे तंबाकू नियंत्रण कानून का और भी प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन हो सकेगा। रायपुर डेंटल कॉलेज की प्राध्यापक एवं स्टेट टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम की मास्टर ट्रेनर डॉ. शिल्पा जैन ने कार्यशाला में कहा कि तंबाकू के सेवन के खतरों को हम जानते हैं फिर भी हम मानते नहीं हैं। 

तम्बाकू विक्रेता अप्रत्यक्ष रूप से इसका प्रचार भी करते हैं जिससे युवा पीढ़ी विशेषकर स्कूल जाने वाले बच्चे इसकी तरफ आकर्षित होते हैं। यह जानलेवा पदार्थ आसानी से उन तक पहुंच जाता है। इससे कैंसर और अन्य गम्भीर बीमारियां बढ़ रही हैं। बीमार व्यक्ति के उपचार में उसके परिवार को आर्थिक कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है। कार्यशाला में द यूनियनकी डॉ. निधि सेजपाल पौराणिक ने तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए वेंडर लाइसेंस क्या है, वेंडर लाइसेंसिंग की जरूरत और इसकी प्रक्रिया के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने विभिन्न राज्यों में तंबाकू नियंत्रण कानून के क्रियान्वयन एवं तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए वेंडर लाइसेंस से हो रहे लाभ के बारे में भी बताया। उन्होंने इससे संबंधित प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए।

तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने राज्य में तंबाकू नियंत्रण के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तंबाकू नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा अन्य विभागों के सहयोग से लगातार काम किया जा रहा है। बावजूद इसके ग्लोबल तंबाकू एडल्ट सर्वे के अनुसार प्रदेश की 39.1 प्रतिशत आबादी तंबाकू का उपयोग करती है। हालांकि तंबाकू उपयोगकर्ताओं की संख्या पहले से कम हुई है, मगर इस क्षेत्र में और कार्य करने की जरूरत है। तम्बाकू उत्पादों की बिक्री के लिए वेंडर लाइसेंसिंग प्रक्रिया पर आज मंथन इसी की एक कड़ी है। 

डॉ. जैन ने कहा कि तंबाकू मुक्त छत्तीसगढ़ का मकसद शहर और प्रदेश को तंबाकू सेवन से मुक्ति दिलाना है। तंबाकू से बने उत्पाद की ब्रिकी के लिए वेंडर लाइसेंसिंग की व्यवस्था पर भी चर्चा जरूरी है क्योंकि अगर हमें बच्चों के भविष्य को बचाना है तो तंबाकू के सेवन और बिक्री के प्रति अभी से सचेत होना होगा। कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न जिलों के नोडल अधिकारियों के साथ ही वांलिटियरी हेल्थ एसोसिएशन्स, नगर निगम, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, समाज कल्याण विभाग  के अधिकारी एवं द यूनियनसंस्था के पदाधिकारी शामिल हुए।

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