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महासमुंद : प्रदेश का मॉडल “कृष्ण कुंज”, वाकिंग ट्रेक, झूला और पेंटिंग है आकर्षण का केन्द्र

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 महासमुंद। नगर पंचायत पिथौरा में विकसित कृष्ण कुंज प्रदेश के लिए एक मॉडल कृष्ण कुंज के रूप में विकसित किया गया है। यहां कृष्ण कुंज की अवधारणा को साकार किया गया है। पिथौरा के कृष्ण कुंज में 0.40 एकड़ क्षेत्र में 160 पौधें रोपे गए हैं। वाकिंग ट्रेक, झूला और दीवारों में मनमोहक चित्रांकन भी किया गया है। जिससे वास्तव में कृष्ण कुंज एक सुंदर वाटिका के रूप में नगर की पहचान के रूप में उभरा है। जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है।


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा कृष्ण कुंज वृक्षारोपण कार्यक्रम की योजना राज्य के समस्त नगरीय निकायों में हरियाली बढ़ाने की पहल हेतु लागू किया गया है। जिसका उद्देश्य वन उद्यान विकसित कर सांस्कृतिक एवं जीवनोपयोगी वृक्षों की अमूल्य विरासत का संरक्षण एवं शहरी क्षेत्रों में निवासरत लोगों में हरियाली के प्रति आकर्षण बढ़ाना, प्रदूषण मुक्त हेतु प्राकृतिक वातावरण व सुंदरता उपलब्ध कराना है।

वनमंडलाधिकारी पंकज राजपूत ने बताया कि इसी तारतम्य में महासमुंद वनमंडल के नगर पंचायत पिथौरा में कृष्णकुंज विकसित कर बरगद, पीपल, नीम और कदंब, रीठा, सिंदूरी, गुलमोहर, बेल, आंवला जैसे सांस्कृतिक महत्व के जीवनोपयोगी 160 वृक्षों का रोपण किया गया है। राज्य शासन द्वारा जन्माष्टमी के अवसर पर विगत वर्ष कृष्ण कुंज योजना की शुरुआत की गई थी। जिले में नगरीय निकाय पिथौरा में वन विभाग द्वारा नगर के बीच में रिक्त स्थान को कृष्ण कुंज निर्माण के लिए चयन किया गया। यह पूरे राज्य के लिए एक मॉडल कृष्ण कुंज है। यहां वनों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रजातियों के औषधीय, फलदार एवं फूल वाले पौधों का रोपण किया गया है। वर्तमान में रोपित पौधे 7-8 फीट ऊंचाई के हो चुके हैं।

कृष्ण कुंज नाम के मुताबिक यहां धार्मिक आस्था का ख्याल रखते हुए तीन मंदिरों का निर्माण भी किया गया है। जिसमें राधा-कृष्ण की प्रतिमा स्थापित की गई है। जहां लोग आस्था पूर्वक दर्शन और पूजा के लिए यहां पहुंचते हैं। कृष्ण कुंज को एक आकर्षक और पर्यावरणीय दृष्टि से उपयोगी एक उद्यान के रूप में विकसित किया गया है।


हरे-भरे वृक्षों के रूप में आकार ले रहे ‘कृष्ण कुंज‘

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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश के नगरीय निकायों में कृष्ण कुंज का विकास कर रही है। मात्र एक वर्ष में ही इन कृष्ण कुंजों ने हरे-भरे वृक्षों के रूप में अपना आकार लेना शुरू कर दिया है। योजना के तहत प्रदेश में 169 नगरीय निकायों में लगभग 224 एकड़ रकबा में लगभग 60 हजार पौधों का रोपण किया गया हैं।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर राजधानी रायपुर के तेलीबांधा स्थित कृष्ण कुंज में स्वयं वृक्षारोपण कर कृष्ण कुंज की महत्वाकांक्षी योजना की पूरे प्रदेश में शुरूआत की थी। इसी दिन प्रदेश के नगरीय निकायों में बनाए गए कृष्ण कुंज में जनभागीदारी से वृक्षारोपण किया गया था

इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज जन्माष्टमी के अवसर पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य भर के वन मण्डलों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र के कृष्ण कुंजों में कार्यक्रम का आयोजन कर पर्यावरण के प्रति जनजागरूकता का संदेश दिया गया। कार्यक्रम के तहत वन मण्डल बीजापुर द्वारा कृष्ण कुंज में ‘‘मटकी फोड़‘‘ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। साथ ही इस दौरान वहां बच्चों और उपस्थित लोगोें को कृष्ण कुंज में लगाए गए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के पौधों के बारे में जानकारी दी गई।

इसी तरह कृष्ण कुंज बालोद में आयोजित मटकी फोड़ प्रतियोगिता में स्वामी आत्मानंद स्कूल एवं शासकीय माध्यमिक विद्यालय के बच्चों ने जोर-शोर के साथ भाग लिया। इसके अलावा रायगढ़, बलौदाबाजार तथा पेण्ड्रा आदि वन मण्डलों मंे भी पर्यावरण जागरूकता संबंधी विविध कार्यक्रमों का आयोजन कृष्ण कुंजों में किया गया।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप कृष्ण कुंज में वृक्षारोपण से जन-जन को जोड़ना और सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के वृक्षों के रोपण करने का कार्य किया जा रहा है। जहां पर पर्यावरण संतुलन बनाए रखने वाले और भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन देने वाले चंदन, रूद्राक्ष, बरगद, पीपल, कदम्ब जैसे वृक्षों का रोपण शामिल है। कृष्ण कुंज में आम, ईमली, बेर, गंगा ईमली, जामुन, शहतुत, तेंदू, चिरौंजी, अनार, कैथा, नीम, पलाश, बेल, आंवला जैसे फलदार वृक्ष भी लगाएं जा रहे हैं।

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