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राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संवरेगा बच्चों का भविष्य : स्कूल शिक्षा सचिव परदेशी

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रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षकों को नए पाठ्यक्रमों के लिए तैयार करने और नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को लागू करने में एससीईआरटी की महत्वपूर्ण भूमिका है। परदेशी कल एससीईआरटी कार्यालय में ध्वजारोहण के बाद अधिकारियों की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।

स्कूल शिक्षा सचिव परदेशी ने कहा कि हम सबको टीम वर्क के जरिए कार्य करते हुए नई शिक्षा नीति के लिए पाठ्यक्रम तैयार करना है। यह पाठ्यक्रम आने वाले कई वर्षों तक बच्चों के भविष्य निर्धारित करेगा। पाठ्यक्रम तैयार करते समय यह ध्यान रखने की जरूरत है कि यह न केवल यह बच्चों का भविष्य तैयार करेगा, बल्कि देश का भविष्य भी बनाएगा। प्रधानमंत्री के विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने में भी मदद करेगा।

परदेशी ने कहा कि सभी शिक्षकों का दायित्व है कि हम भावी पीढ़ी को अच्छा नागरिक बनाने के लिए अच्छी से अच्छी शिक्षा दें और इसके लिए बच्चों में अनुशासन और उन्हें संस्कारवान बनाएं। उन्होंने कहा कि समाज में बड़े से बड़े और छोटे से छोटे व्यक्ति की इच्छा होती है कि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार मिले और आगे चलकर वह परिवार, समाज और देश का नाम रोशन करें। शिक्षक का दायित्व भावी पीढ़ी का निर्माण करना होता है।

कार्यक्रम को समग्र शिक्षा के प्रबंध संचालक संजीव कुमार झा एससीईआरटी के अतिरिक्त संचालक जयप्रकाश रथ व समग्र के अतिरिक्त मिशन संचालक के. सी. काबरा ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन स्टेट मीडिया सेंटर के नोडल अधिकारी प्रशांत पांडेय ने व आभार प्रदर्शन उप संचालक प्रोफसर पुष्पा किस्पोट्टा ने किया। इस अवसर पर बीएड कॉलेज के शिक्षक, छात्र सहित स्कूल शिक्षा विभाग के विभिन्न निकायों के अधिकारी उपस्थित थे।

आगामी शिक्षा सत्र से छत्तीसगढ़ भाषा एवं आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय बोली को कक्षा 1 से 5 तक के पाठ्यक्रम में शामिल करने की कार्यवाही शुरू

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रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आगामी शिक्षा सत्र से छत्तीसगढ़ भाषा एवं आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय बोली को कक्षा 1 से 5 तक के पाठ्यक्रम में शामिल करने की कार्यवाही शुरू कर दी है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के संचालक राजेश सिंह राणा ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा की गई इस घोषणा पर कार्यवाही के लिए बैठक लेकर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

राजेश सिंह राणा ने मुख्यमंत्री की घोषणा से अवगत कराते हुए सभी अशासकीय संगठनों से बहुभाषा शिक्षण के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्याें और अनुभव की संक्षिप्त जानकारी ली। उन्होंने मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (एफएलएन) के भाषागत लक्ष्यों, सीखने के प्रतिफलों को ध्यान में रखते हुए एससीईआरटी की अकादमिक टीम के साथ सहयोग करने कहा। राणा ने इस कार्य के लिए कक्षा 1 से कक्षा 5 तक सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ी भाषा (रायपुर एवं बिलासपुर संभाग), सरगुजिहा, हल्बी, गोड़ी, सादरी, कुडुख स्थानीय भाषाओं में 15 सितम्बर तक प्रथम पांडुलिपि तैयार कर प्रस्तुत करने कहा है। अशासकीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने कक्षा 1 से 3 तक इस क्षेत्र में कार्य किए जाने वाली स्थानीय भाषाओं में पाठ्य सामग्री निर्माण कर, दी गई समय सीमा में प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया है। इसे स्थानीय भाषाओं के लिए पूर्व तैयार की गई समितियों के मध्य आगामी 15 सितम्बर को चर्चा हेतु प्रस्तुत किया जाएगा।

अगले शिक्षा सत्र से छत्तीसगढ़ी भाषा एवं आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय बोली को कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में सम्मिलित करने के संबंध में आयोजित बैठक में परिषद् की उपसंचालक श्रीमती पुष्पा किस्पोट्टा, पाठ्यपुस्तक लेखन के प्रकोष्ठ प्रभारी वी.के. तिवारी, सहायक संचालक, सुशील राठोड़, सहायक प्राध्यापक, डॉ. जयभारती चंद्राकर, स. प्रकोष्ठ प्रभारी बहु भाषा शिक्षण, एस.के.तंबोली, व्याख्याता तथा अशासकीय संगठनों से राधेश्याम थवाईत (अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन), रंधीर एवं प्रदीप (रूम टू रीड फाउंडेशन), संजय गुलाटी एवं मधुलिका झा (लैंग्वेज लर्निंग फाउंडेशन), सुश्री रागिनी मेहरा (संपर्क फाउंडेशन) उपस्थित थे।

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