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महिलाओं की आमदनी रूपए 10 हजार प्रतिमाह करना हमारा संकल्प : मुख्यमंत्री चौहान

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भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महिलाओं की जिंदगी बदलने का संदेश लेकर मैं अपनी बहनों के बीच आया हूँ। हम केवल लाड़ली बहना योजना तक ही सीमित नहीं रहेंगे, आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं की आमदनी 10 हजार रूपए प्रतिमाह करना हमारा संकल्प है। मुख्यमंत्री चौहान ग्वालियर के मेला मैदान में भव्य मुख्यमंत्री लाड़ली बहना सम्मेलन-सह-मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार पत्र वितरण एवं विकास कार्यों के भूमि-पूजन/लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने सम्मेलन में बड़ी संख्या में महिलाओं की उपस्थिति को बहनों की ताकत का जागरण बताया।

मुख्यमंत्री चौहान ने केन्द्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केन्द्रीय नागरिक उड्डयन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ लगभग 777 करोड़ 35 लाख रूपए लागत के विकास कार्यों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण किया। साथ ही प्रतीक स्वरूप महिलाओं को शासकीय योजनाओं के हितलाभ एवं मुख्यमंत्री अवासीय भू-अधिकार पत्र वितरित किए। लाड़ली बहना सेना को कार्यालय की चाबी सौंपी और विभिन्न क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया। जिले की महिलाओं ने स्वयं के द्वारा बनाए गए उपहार भी मुख्यमंत्री चौहान सहित अन्य अतिथियों को भेंट किये। मुख्यमंत्री चौहान ने एक हजार बिस्तर के अस्पताल में सेट्रलाइज्ड एसी सिस्टम लगवाने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री लाड़ली बहना सम्मेलन में जिले के प्रभारी एवं जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह, लोक निर्माण राज्य मंत्री सुरेश धाकड़, लघु उद्योग विकास निगम की अध्यक्ष श्रीमती इमरती देवी, बीज एवं फॉर्म विकास निगम के अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल, मत्स्य विकास निगम के अध्यक्ष सीताराम बाथम, नगर निगम सभापति मनोज तोमर सहित अन्य जन-प्रतिनिधि मंचासीन थे।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि महिलाओं को सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये सरकार ने मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना व लाड़ली बहना योजना जैसी क्रांतिकारी योजनाओं को मूर्तरूप दिया है। लाड़ली बहना योजना महिलाओं की जिंदगी बदलने के मंत्र की तरह है। प्रदेश की लगभग सवा करोड़ महिलाओं को 15 हजार करोड़ रूपए सरकार हर माह दे रही है। उन्होंने कहा कि लाड़ली बहना योजना की राशि धीरे-धीरे बढ़ा कर 3 हजार रूपए तक की जायेगी।

मुख्यमंत्री चौहान एवं अन्य अतिथियों ने कन्या-पूजन, वीरांगना दुर्गावती के चित्र पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने स्वागत उदबोधन में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना को महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाला बताया। उन्होंने योजना लागू करने के लिए मुख्यमंत्री चौहान का धन्यवाद व्यक्त किया।

हर गाँव में गठित होंगीं लाड़ली बहना सेनाएँ

 मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश के हर गाँव में महिलाओं को लाड़ली बहना सेना में संगठित किया जायेगा। छोटे गाँव की लाड़ली बहना सेना में 11 महिला सदस्य और बड़े गाँव में 21 महिलाएँ शामिल की जायेंगीं।

शेष महिलाओं का भी होगा पंजीयन, 21 से 23 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को भी जोड़ेंगे

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में जो महिलाएँ पंजीयन नहीं करा पाई हैं, उनका पंजीयन किया जायेगा। साथ ही अब न्यूनतम 21 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को भी इस योजना से जोड़ा जायेगा। पहले इस योजना में 23 वर्ष न्यूनतम आयु थी।

महिला हितैषी योजनाओं की वजह से प्रदेश में लिंगानुपात सुधरा : केन्द्रीय मंत्री तोमर

केन्द्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य से विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण के के लिये क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किये गये। इन कदमों से प्रदेश में महिलापुरूष लिंगानुपात में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। महिला सशक्तिकरण के बिना देश का सशक्तिकरण असंभव है। इसे ध्यान में रखकर केन्द्र व राज्य सरकार ने महिलाओं के कल्याण के लिये कारगर योजनाएँ बनाई हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री चौहान जो कहते हैं उसे धरती पर उतारकर दिखाते हैं। महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में किए गए काम इस बात की पुष्टि करते हैं।

देश-प्रदेश में बेटियाँ अब बोझ नहीं रही : केन्द्रीय मंत्री सिंधिया

केन्द्रीय नागरिक उड्डयन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार ने महिला शक्ति को आगे करने का काम किया है, जिससे नारी शक्ति अपनी प्रगति का मार्ग स्वयं तय कर सकती है। देश-प्रदेश में बेटियाँ अब बोझ नहीं रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम तथा मुख्यमंत्री चौहान द्वारा शुरू की गई लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना एवं मुख्यमंत्री कन्या विवाह-निकाह योजना ने इसमें महती भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर बदल रहा है। यहाँ एक हजार बिस्तर का अस्पताल, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन का निर्माण, एलीवेटेड रोड, पेयजल के लिये चंबल प्रोजेक्ट इत्यादि बड़े-बड़े काम मूर्तरूप ले रहे हैं। सिंधिया ने आयुष्मान कार्ड, उज्ज्वला योजना, घर-घर शौचालय सहित हर घर में नल से पानी पहुँचाने के लिये सरकार द्वारा स्थापित जल जीवन मिशन सहित अन्य योजनाओं से आए बदलाव को भी रेखांकित किया।

रेहट की लाड़ली बहना सेनाको सौंपी कार्यालय की चाबी

 मुख्यमंत्री श्री चौहान एवं अन्य अतिथियों ने ग्वालियर जिले की जनपद पंचायत घाटीगाँव के ग्राम रेहट से आईं महिलाओं को लाड़ली बहना सेनाके कार्यालय भवन की चाबी एवं भवन आवंटन पत्र सौंपा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यालय भवन में बैठकर गाँव की महिलायें अपनी तरक्की की नई इबारत लिख सकेंगीं। उन्होंने सेना को कार्यालय भवन उपलब्ध कराने के लिये जिला प्रशासन की प्रशंसा की।

लाड़ली बहन ने कुर्ता दिया, भैया शिवराज हुए भाव विभोर

मुख्यमंत्री चौहान के लिये ग्राम सिकरोदी निवासी श्रीमती भावना मौर्य एवं श्रीमती सीमा स्वयं द्वारा तैयार सुंदर सा कुर्ता लेकर पहुँची थीं। उन्होंने जब यह उपहार मुख्यमंत्री चौहान को भेंट किये तो वे भाव विभोर हो गए और कहा इसे हम अवश्य पहनेंगे।

 

गौठान बना समूह की महिलाओं के लिए आमदनी का जरिया

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रायपुर। राज्य में महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के अंतर्गत संचालित गौठान समूह की महिलाओं के लिए आमदनी का जरिया बन गया है। गौठानों में समूह की महिलाएं विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधि अपनाकर स्वावलंबन व आत्मनिर्भर होने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही हैं। जिससे महिलाओं के जीवन में एक नया बदलाव आ रहा है। इसी कड़ी में मुंगेली जिले के लोरमी विकासखंड के ग्राम सांवतपुर के गौठान में इंदिरा महिला स्व-सहायता समूह और भारत वाहिनी स्व-सहायता समूह द्वारा शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के तहत क्रय किए गए गोबर से वर्मी कंपोस्ट व सुपर कंपोस्ट निर्माण कर रहे हैं।

गोधन न्याय योजना की शुरुआत से अब तक समूह द्वारा 621.85 क्विंटल वर्मीं कंपोस्ट का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 538 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का विक्रय किया जा चुका है। इसी तरह समूह द्वारा 318 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट का भी निर्माण किया गया है, जिसमें से 71 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट का विक्रय किया जा चुका है। इससे समूह की महिलाओं को लगभग 04 लाख 22 हजार रूपए की आमदनी हुई है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप ग्रामीण अर्थव्यव्स्था को मजबूती प्रदान करने तथा ग्रामीणों को ग्राम में ही रोजगार व स्वरोजगार से जोड़ने शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के तहत निर्मित गौठानों में विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधि संचालित की जा रही है। इन गौठानों से जुड़कर स्वसहायता समूह की महिलाएं अब सशक्त व आत्मनिर्भर हो रही हैं।

फूलों की खेती से महका महिलाओं का जीवन

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रायपुर। परम्परागत् खेती की जगह आधुनिक खेती फायदे का सौदा साबित हो रही हैं। इससे कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत तुड़गे के गौठान में काम कर रही महिलाओें की जिन्दगी भी अब महकने लगी है। शीतला स्व-सहायता समूह की इन महिलाओं ने तुड़गे के गौठान की महज 04 डिसमिल भूमि में कृषि विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन एवं सहयोग से पहली बार गेंदा फूल के टेनिस बॉल किस्म की खेती शुरू की है।

पहली बार में ही महिलाओं को अच्छा मुनाफा हो रहा है। समूह की महिलाएं औसतन 100 रुपए प्रति किलो की दर से गेंदा फूल की बिक्री कर रही हैं। उन्होंने अब तक 150 किलोग्राम फूल बेच कर 15 हजार रुपए कमाए हैं। महिलाओं ने बताया कि करीब 300 किलोग्राम से अधिक फूलों का उत्पादन होने की संभावना है, जिससे समूह को अच्छी आमदनी मिलेगी। इस सफलता से इन महिलाओं के चेहरे की खुशी दोगुनी हो गई है।

महिला समूह की सक्रिय सदस्य सुलोचना रावटे, शांति नेताम, मालती नरेटी, मंगतीन नेताम, बृजबत्ती, गिरजा बाई और विमला ने बताया कि गौठान में वर्मी खाद उत्पादन के अलावा पहली बार ट्रायल के रूप में गेंदा फूल की खेती  की जा रही है। खेती के लिए टेनिस बॉल नाम के गेंदा फूल की हाइब्रिड वैरायटी के बीज को मंगवाया गया है। इसके लिए पहले नर्सरी तैयार की गई तथा रोपाई के बाद फूलों की हार्वेस्टिंग की गई। उन्होंने बताया कि फूलों की खेती में खास बात यह है कि इससे कम पानी, कम लागत और कम मेहनत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। गेंदा फूल की मांग भी वर्षभर बनी रहती है। उन्होंने अपने नए रोजगार एवं हो रही आमदनी के लिए राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया गया कि टेनिस बॉल गेंदा फूल पौधे की हाइट 3 से 4 फुट की होती है। तीन माह में फूल आना शुरू हो जाता है और पैदावार भी अधिक होती है। गेंदा फूल की खेती में अधिक मुनाफा है, इसकी डिमांड भी अच्छी है। उन्होंने बताया कि गोधन न्याय योजना के तहत बनाए गए गौठानों के माध्यम से स्व-सहायता समूहों के महिलाओं को आजीविका गतिविधियों एवं स्वरोजगार से जोड़कर आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जा रहा है। महिला समूह भी वर्मी-कम्पोस्ट खाद उत्पादन के साथ गेंदा फूल की खेती में काफी रूचि ले रही हैं।

हर्बल गुलाल से स्व सहायता समूह की महिलाएं दे रही सुरक्षित होली का सन्देश

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रायपुर। हर्बल गुलाल शुद्ध प्राकृतिक तत्वों से निर्मित एवं केमिकल रहित होने की वजह से इसकी डिमांड लगातर बढ़ रही हैं। इसको देखते हुए पूरे प्रदेश में स्व-सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा इसका निर्माण एवं विक्रय किया जा रहा है। कोंडागांव जिले के ग्राम आलोर के मां शीतला स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित हर्बल गुलाल की मांग हर साल बढ़ती जा रही है। समूह द्वारा वर्ष 2021 में 3 क्विंटल हर्बल गुलाल का उत्पादन किया गया था, इससे उन्हें 31 हजार रुपये की आमदनी हुई थी। 

हर्बल गुलाल की डिमांड को देखते हुए वर्ष 2022 में 4 क्विंटल हर्बल गुलाल का उत्पादन किया गया, इससे उन्हें 40 हजार रुपये का लाभ हुआ था। इस साल समूह की महिलाओं के द्वारा पांच क्विंटल हर्बल गुलाल का उत्पादन किया है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि इससे समूह को 50 हजार रूपए से ज्यादा की आमदनी होगी। हर्बल गुलाल की बिक्री से समूह को अब तक 10 हजार रुपये तक की आय हो चुकी है। मां शीतला स्व-सहायता समूह को इस सफलता के लिए राज्य स्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है।

गतवर्ष की तरह इस वर्ष भी कृषि विज्ञान केंद्र व राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के संयुक्त प्रयास से ग्राम आलोर के मां शीतला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। समूह की महिलाओं द्वारा गुलाल बनाने हेतु वर्ष भर वनों में जाकर प्राकृतिक रंजक जैसे पलास, धवई, सिंदूर, मेहँदी, पत्तियां तथा बाजार से चुकंदर, लाल भाजी, पालक, हल्दी एवं गुलाब जल आदि का संग्रहण कर, होली के एक माह पूर्व से हर्बल गुलाल उत्पादन करना प्रारंभ कर दिया जाता हैं। 

समूह के मास्टर ट्रेनर एवं वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र डॉ. हितेश मिश्रा ने ‘‘मेरी होली सुरक्षित होली‘‘ का नारा देते हुए बताया कि समूह की महिलाएं पूर्ण रूप से जैविक तत्वों से बने हर्बल गुलाल का उत्पादन कर रही हैं। जो हमारे शरीर को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाती है। बाजार में खतरनाक रसायनों से बना गुलाल जिससे त्वचा में एलर्जी, आंखों में इंफेक्शन, दमा, अस्थमा, खुजली, सिरदर्द जैसे कई प्रकार की समस्याएं होने की संभावना होती है। जबकि हर्बल गुलाल से त्वचा को शीतलता प्राप्त होती है और इससे किसी प्रकार का साइड इफैक्ट भी नहीं होता है।


मसालों की खेती में छत्तीसगढ़ की बन रही देश में नई पहचान

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में मसालों की खेती का दायरा बढ़ते जा रहा है। राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों का खेती-किसानी के क्षेत्र में असर दिख रहा है। किसान नवाचार की ओर बढ़ रहे हैं। सामान्यतः छत्तीसगढ़ में जो किसान धान तथा अन्य परम्परागत फसलों की खेती करते रहे हैं, वे अब मसालों की खेती की ओर भी रूख कर रहे हैं। मसालों की खेती में छत्तीसगढ़ की देश में नई पहचान बन रही है।

छत्तीसगढ़ की जलवायु और मिट्टी मसालों की खेती के अनुकूल होने के कारण उत्पादन भी अच्छा हो रहा है। राज्य के किसानों को उत्पादन के साथ-साथ अच्छी आमदनी भी मिल रही है। छत्तीसगढ़ में मसालों की मांग और आपूर्ति में संतुलन की स्थिति आ रही है। इस समय मसालों का उत्पादन चार लाख मीट्रिक टन से भी अधिक है। साथ ही इस क्षेत्र में इतने उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं कि छत्तीसगढ़ से धनिया के भी बीज अन्य राज्यों को आपूर्ति की जा रही हैं।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार छत्तीसगढ़ की जलवायु मसालों के उत्पादन के अनुकूल है। इसलिए यहां मसालों की खेती लगातार बढ़ती जा रही है। हल्दी, अदरक, लाल मिर्च, अजवाईन, ईमली, लहसून की खेती की जा रही है। हल्दी, धनिया, मेथी, लहसून, मिर्च, अदरक की खेती छत्तीसगढ़ के करीब-करीब सभी क्षेत्रों में की जा रही है। वहीं बलरामपुर, बिलासपुर, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही और मुंगेली में अजवाइन तथा कोंडागांव में काली मिर्च की खेती भी की जा रही है।

हल्दी का उत्पादन सर्वाधिक

मसालों की खेती के रकबे के साथ-साथ उत्पादन में भी तेजी से इजाफा देखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ में अभी 66081 हेक्टेयर में मसालों की खेती हो रही है और लगभग 4 लाख 50 हजार 849 मीट्रिक टन मसालों का उत्पादन हुआ है। छत्तीसगढ़ में हल्दी का रकबा और उत्पादन सबसे अधिक है। उसके बाद अदरक, धनिया, लहसून, मिर्च, इमली की खेती की जा रही है।

योजनाओं से मिल रही मदद

मसाले की खेती के लिए किसानों को राष्ट्रीय बागवानी मिशन, राष्ट्रीय कृषि योजना तथा अन्य योजना के तहत सहायता दी जाती है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत 24 जिलों में मसाले की खेती 13302 हेक्टेयर में की गई है और 93114 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है। वही राज्य में संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत विगत चार वर्षों में 1837.29 हेक्टेयर में मसाले की खेती की गई एवं औसतन 12861 मीट्रिक टन का उत्पादन प्राप्त हुआ है। इससे लगभग 3500 कृषक लाभान्वित हुए हैं।

किसानों को मिल रही भरपूर आमदनी

धनिया की खेती करने वाले कृषक मयंक तिवारी बताते हैं कि एक हेक्टेयर में बोने पर लगभग 20 हजार रूपए का खर्च आता है। फसल होने पर 60 से 65 हजार तक की आमदनी प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने बताया कि सभी खर्च काटकर 40 से 45 हजार की शुद्ध आमदनी होती है।

बलौदाबाजार जिले में हल्दी की खेती करने वाली महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती लोकेश्वरी बाई ने बताया कि एक एकड़ में हल्दी लगाई है जिस पर 50,000 रूपए का लागत लगी है। फसल काफी अच्छी हुई तथा औसत उत्पादन 50-60 क्विंटल प्राप्त होने की सम्भावना है जिसमे से 5 क्विंटल की खोदाई हो गयी है जिसे पीसकर पैकिंग कर किराना दुकान में बेच रहे हैं जिससे 60-65 हजार की आमदनी हुई है। राजनांदगांव की कृषक श्रीमती अरपा त्रिपाठी, गोपाल मिश्र, संजय त्रिपाठी और श्री जैनु राम ने मिलकर 12.208 हेक्टेयर में हल्दी की खेती की है। उन्हें 250-300 मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होने की सम्भावना है।

कोरबा जिले के कृषक प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने 0.400 हेक्टेयर में अदरक की फसल बोई जिसमें 90 हजार रूपए की लागत आई। लगभग 47 क्विंटल उत्पादन हुआ, इसे बेचने पर उन्हें 1.40 लाख रूपए मिले। इस राशि में उन्हें 50 हजार रूपए का शुद्ध फायदा हुआ। बीते चार सालों में लगभग 300 किसानों को अदरक की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। इन किसानों ने 130 हेक्टेयर में अदरक की खेती कर 2000 टन अदरक का उत्पादन किया है।

मसालों की नई किस्म पर शोध    

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक एस.एच. टूटेजा ने बताया कि बीते सालों में मसालों के बीजों पर शोध किया जा रहा है जिसमें धनिया की दो किस्में सीजी धनिया व सीजी चन्द्राहु धनिया विकसित की गई जिससे अच्छी फसल प्राप्त हो रही है। इसकी स्थानीय स्तर के अलावा अन्य 7 राज्यों में आपूर्ति की जा रही है। इसी तरह हल्दी की भी नई किस्म विकसित की गई है। श्री टूटेजा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में मसाला फसलों की बहुत अच्छी संभावना है। अब किसान जागरूक होकर इसकी खेती कर रहे हैं और अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं।

राष्ट्रीय कार्यशाला

छत्तीसगढ़ में मसालों की संभावनाओं और उनकी खेती को प्रोत्साहित करने के लिए बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, सरकंडा, बिलासपुर में 14 एवं 15 मार्च, 2023 को कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इस कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों के विषय विशेषज्ञ शामिल होंगे तथा छत्तीसगढ़ में मसाला एवं सुगंधित फसलों के उत्पादन की संभावनाओं एवं क्षमताओं के संबंध में विचार-विमर्श किया जाएगा। इसमें मसालों की खेती करने वाले किसानों और उनका व्यापार करने वाले व्यापारियों को भी आमंत्रित किया जाएगा ताकि मसालों की नई तकनीक और उसके व्यापारिक फायदों के संबंध में विस्तृत चर्चा की जा सके।

 

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