रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के दौरान हुए 3,200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में नई कार्रवाई हुई है। आबकारी विभाग के कई अधिकारी 20 अगस्त को कोर्ट में पेश नहीं हुए, जिसके बाद अदालत ने उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया। अब सभी को 23 सितंबर को कोर्ट में पेश होना होगा।
EOW की जांच और कार्रवाई
EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) ने आरोप लगाया था कि आबकारी विभाग के अधिकारियों ने शराब सिंडिकेट से 88 करोड़ रुपए की कमाई की। जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद 22 अफसरों को सस्पेंड किया गया।
अब तक 200 से अधिक लोगों से पूछताछ हो चुकी है, जिनमें कारोबारी, अधिकारी, एजेंट और हवाला कारोबारी शामिल हैं।
जांच में खुलासा हुआ कि शराब दुकानों में बिक्री का सही रिकॉर्ड नहीं रखा जाता था।
डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर टैक्स चोरी की जाती थी और बिना हिसाब-किताब शराब की सप्लाई होती थी।
कैसे हुआ 3200 करोड़ का घोटाला?
EOW के आरोपपत्र के मुताबिक:
- भ्रष्टाचार फरवरी 2019 से शुरू हुआ।
- शुरू में हर महीने 200 ट्रक शराब (800 पेटी प्रति ट्रक) निकलते थे।
- कीमत: ₹2,840 प्रति पेटी → बाद में बढ़कर ₹3,880 प्रति पेटी हुई।
- आपूर्ति बढ़कर 400 ट्रक प्रति महीने तक पहुंची।
- 3 साल में 60 लाख से अधिक पेटियां अवैध रूप से बेची गईं।
बड़े नाम जांच के घेरे में
इस घोटाले में पूर्व भूपेश सरकार के कार्यकाल के दौरान कई बड़े नाम शामिल बताए जा रहे हैं।
- IAS अनिल टुटेजा
- आबकारी विभाग के MD एपी त्रिपाठी
- कारोबारी अनवर ढेबर
ईडी की पैनी नजर
घोटाले की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी कर रहा है। ईडी ने हवाला ट्रांजेक्शन और काले धन की लेयरिंग की जांच शुरू कर दी है।