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जम्मू कश्मीर में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 2.5 मापी गई तीव्रता


जम्मू कश्मीर में आज सुबह करीब 6 बजकर 21 मिनट पर भूंकप के हल्के झटके (Earthquake) महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल (Richter Scale) पर इनकी तीव्रता 2.5 मापी गई है। फिलहाल इससे किसी भी तरह का जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप 5 किलोमीटर की गहराई पर आया। बीते कुछ समय से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं।






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दरअसल, जम्मू कश्मीर और लद्दाख भूकंपीय क्षेत्र (Seismic Zone) में आते हैं, जिस कारण यहां भूकंप के झटकों के आने की संभावना बनी रहती है। 1 जून को भी डोडा में 3 बजकर 47 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिनकी रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 3.4 मापी गई थी। 21 मई को सुबह 11.02 बजे लद्दाख में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिनकी तीव्रता 4.2 मापी गई थी। इससे पहले 19 मई को भी डोडा में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर इस भूकंप की तीव्रता 3.2 दर्ज की गई थी।





कई स्थानों पर महसूस किए गए भूकंप के झटके





बीते दिनों में देश के अलग-अलग स्थानों पर भी भूकंप के कई झटके महसूस किए गए हैं। 31 मई को देश की राजधानी दिल्ली में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर पर भूंकप की तीव्रता 2.4 मापी गई थी। ये झटके रात 9 बजकर 54 मिनट पर दिल्ली के रोहिणी में महसूस किए गए थे। वहीं, 17 मई को गुजरात के राजकोट में भी भूकंप आया था। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.8 दर्ज की गई थी। ये भूकंप सुबह 3 बजकर 37 मिनट पर आया था।





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24 मई को उत्तराखंड में चमोली जिले और उसके आसपास के क्षेत्रों में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.3 थी जबकि इसका केंद्र जिले के जोशीमठ के पास 22 किलोमीटर गहराई में था। दरअसल, पृथ्वी कई लेयर में बंटी होती है और जमीन के नीचे कई तरह की प्लेट होती है। ये प्लेट्स आपस में फंसी रहती हैं, लेकिन कभी-कभी ये प्लेट्स खिसक जाती है, जिस वजह से भूकंप आता है। कई बार इससे ज्यादा कंपन हो जाता है और इसकी तीव्रता बढ़ जाती है।





जानिए क्यों आता है भूकंप





धरती मुख्य तौर पर 4 परतों से बनी हुई है। इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है, जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है।





इसलिए होता है भूकंप महसूस





ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती रहती हैं। जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है। ये प्लेट क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वह स्थिर रहते हुए अपनी जगह तलाशती हैं। इस दौरान एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाता है।





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भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है। अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे भयानक तबाही होती है लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं। उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता। समुद्र में भूकंप आने पर ऊंची और तेज लहरें उठती है, जिसे सुनामी भी कहते हैं।





इस तरह मापी जाती है भूकंप की तीव्रता





भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है।





चार अलग-अलग भागों में बांटा गया है भूकंप जोन





दरअसल, भूकंप को लेकर 4 अलग-अलग जोन में बांटा गया है। मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के मुताबिक इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है। जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है।


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